________________ 200 200 पाश्वनाथ विद्याश्रम, वाराणसी के लघु प्रकाशन 1. अहिंसा की सम्भावनायें-डा० सागरमल जैन (1980) 2. जैन साहित्य और शिल्प में बाहुबलि-डा० सागरमल जैन एवं डा० मारुतिनन्दन तिवारी (9982) 3. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि काव्याञ्जलि-पं० बेचरदास दोशी (1981) 4. जैन साहित्य के विविध आयाम (प्रथम खण्ड) सम्पादक डा० सागरमल जैन (1981) 5. जैन आचार में इन्द्रियदमन की मनोवैज्ञानिकता डा. रतनचन्द जैन (1981) 6. जैनदर्शन में प्रमाण-डा० वशिष्ठनारायण सिन्हा(१९८१:०० 7. बौद्ध एवं जैन अहिंसा का तुलनात्मक अध्ययन डा० भाग चन्द जैन (1981) 8. नैतिकता का आधार-जगदीश सहाय (1981) 9. पर्युषण पर्व : एक विवेचन -डा० सागरमल जैन(१९८३) 300 10. जैन एकता का प्रश्न-डा० सागरमल जैन (1983) 11. जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक सन्दर्भ में डा० सागरमल जैन (1983) 12. समय पर शिलालेख-मिश्रीलाल जैन (1984) 13. श्रावकधर्म की प्रासंगिकता का प्रश्न-डा० सागरमल जैन (1984) 14. जैन साधना पद्धति में तप-डा० फूलचन्द जैन 15. धार्मिक सहिष्णुता और जैन धर्म-डा० सागरमल जैन (1984) 16. सम्बोधसप्ततिका-अनुवादक डा० रविशंकर मिश्र (1986) 17. धर्म का मर्म-डॉ० सागरमल जैन (1986) 18. गुजरात का जैन धर्म-मुनि जिनविजयजी, द्वितीय संस्करण (1988) 5.00 2.00 अप्राप्य ain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org