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________________ [ २८ ] 85 "प्रश्नों को लेकर विस्तृत चर्चा है । " श्रमण केशी और गौतम के बीच हुई इस चर्चा से इतना तो स्पष्ट रूप से फलित होता है कि पा चातुर्याम धर्म के साथ-साथ सचेल धर्म का प्रतिपादन करते थे । चातुर्याम तथा पंचयाम तथा सचेल और अचेल के विवाद के अतिरिक्त केशी और गौतम के बीच हुई इस संवाद में अनेक आध्यात्मिक प्रश्नों की भी चर्चा की गयी थी जिसमें मुख्य रूप से ५ इन्द्रियों, ४ कषायों, मन और आत्मा का संयमन तथा तृष्णा का उच्छेद किस प्रकार संभव है -यह समस्या उठायी गयी थी । " श्रमण केशी के द्वारा उठाये गये ये प्रश्न इस बात को सूचित करते हैं कि पार्श्व की परम्परा में भी आत्मा, मन और इन्द्रियों के संयम तथा तृष्णा और कषायों के उन्मूलन पर गम्भीर रूप से चिन्तन होता था । इन सब सूचनाओं के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि सत् का उत्पाद-व्यय-धौव्यात्मक होना, पंचास्तिकाय की अवधारणा, अष्ट प्रकार की कर्म ग्रन्थियाँ, शुभाशुभ कर्मों के शुभाशुभ विपाक, कर्म विपाक के कारण चारों गतियों में परिभ्रमण तथा सामायिक, संवर, प्रत्याख्यान, निर्जरा, व्युत्सर्ग आदि सम्बन्धी अवधारणायें पाश्वपत्य परम्परा में स्पष्ट रूप से उपस्थित थी और उन पर विस्तार से तथा गम्भीरता पूर्वक चर्चा होती थी । महावीर की परम्परा में ये सभी तत्त्व पाश्र्वापत्य परम्परा से गृहीत होकर विकसित हुए हैं । महावीर और पार्श्व की परम्परा का अन्तर यद्यपि आज हम पार्श्व और महावीर दोनों को एक ही धर्म परपरा का मानते हैं, किन्तु वास्तविकता यह है कि पार्श्व और महावीर की धार्मिक आचार परम्पराओं में पर्याप्त अन्तर था । साथ ही यह भी सत्य है कि एक ओर महावीर की परम्परा ने पार्श्व की परम्परा से आचार और दर्शन दोनों ही क्षेत्रों में काफी कुछ ग्रहण किया तो दूसरी ओर उसने पार्श्व की परम्परा के अनेक आचार नियमों को परिवर्तित भी किया है । उपलब्ध आगम साहित्य के आधार पर यह ज्ञात होता है कि महावीर ने पार्श्व की परम्परा में निम्न संशोधन किये थे । सचेल अचेल का प्रश्न - जहाँ पार्न सचेल परंपरा के पोषक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002104
Book TitleArhat Parshva aur Unki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Mythology, & Literature
File Size4 MB
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