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कन्नड जैन साहित्य का इतिहास
इस युग की धार्मिक परिस्थिति भी बड़ी अव्यवस्थित थी । कर्णाटक में इस समय वैदिक और जैन इन दो ही संप्रदायों का प्रभुत्व था । इस युग के कर्णाटक के शासक अधिकांश वैदिक संप्रदाय के अनुयायी थे । परन्तु इन्होंने जैन धर्म को भी प्रोत्साहित किया । धर्म के नाम पर कहीं भी वैर-विरोध नहीं दिखाई पड़ता था । दक्षिण में गंगवंश का विशेष प्रभुत्व था । उसके शासक जैन धर्मावलंबी थे और बे इसकी प्रगति में विशेष अभिरुचि लेते थे । दसवीं सदी के अन्त में चामुण्डराय ने श्रवणबेळगोळ में गोम्मटेश्वर की बेजोड़ प्रतिमा प्रतिष्ठापित की और धार्मिक एवं कला जगत् में इन्होंने अमरत्व प्राप्त किया । ग्यारहवीं सदी के आरंभ के साथ धर्म-संप्रदायों के बीच कटुता बढ़ती गई । चोलवंश के प्रताप के सामने गंगवंश का प्रभुत्व निस्तेज हुआ । जैन-धर्म का ह्रास भी अनिवार्य - सा हो गया । पर चालुक्यवंश के पौरुष के कारण चोल कुछ दबे-से रहे और जैन धर्मं लुप्त होने से बच गया । परन्तु उसमें पहले जैसी कांति न रह गई । फलस्वरूप बारहवीं सदी में जैन साहित्य भी तर्क - बहुल और शास्त्रार्थप्रधान हो गया ।
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इस युग के अधिकांश कवि जैन थे । इसमें परम्परागत प्रौढ़ शैली के प्रबंध महाकाव्य ही लिखे गये । इन्हें मार्ग शैली के काव्य भी कहते हैं । चम्पू इस युग का प्रधान काव्य रूप होने से इस युग का नाम 'चम्पू-युग' भी है । चम्पूकाव्य - युग के 'रत्नत्रय' पंप, पोन्न, तथा रत्न माने जाते हैं। तीनों ही जैन थे । तीनों ने अपने आश्रयदाताओं की प्रशंसा में एक ओर लौकिक काव्य और धर्म के प्रचारार्थ दूसरी ओर धार्मिक काव्य लिखे हैं । इन रचनाओं में इन महापुरुषों के जीवनवृत्त भी बिखरे पड़े हैं । इन तीनों का विवेचन नीचे किया जाता है । आदि कवि पंप
'विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई कन्नड भाषा में एकमात्र सत्कवि पंप हैं । धरती पर सम्राट, स्वर्ग में देवराज, पाताल में नागराज, गगन में रवि के समान पंप जगत् में वंदनीय है । उनकी कृपा से मुझे वाग्विलास सुलभ हो ।' यह अभिलाषा व्यक्त करनेवाला निष्पक्ष कवि नागराज है जो आज से छः सौ वर्ष पहले हुआ था । इस स्तवन से आदि कवि पंप की अद्भुत प्रतिभा का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है । अन्य कवियों ने भी रस, भाव, व्यंजना, नादसौन्दर्य आदि गुणों का वरदान अपने-अपने काव्य में सहर्ष माँगा है । अन्य कोई कवि पंप के टक्कर का नहीं होने से 'कन्नड का एकमात्र कवि पंप है' यह लोकोक्ति प्रचलित है । 'कविता फरमाइश या पैसे के बदले नहीं,
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