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________________ ललित वाङ्मय इसकी रचना वीरधवल के महामात्य वस्तुपाल के अनुरोध से शQजय तीर्थ पर ऋषभदेव के उत्सव में खेलने के लिए की गई थी। इस नाटक की कथा का नायक वज्रायुध चक्रवर्ती पूर्वभव मे तीर्थकर शान्तिनाथ का जीव था। उस भव में उसकी दयालुता एवं धर्मिष्ठता की परीक्षा दो देवों ने कतर और बाज का रूप धारण कर की थी। जैनेतर साहित्य में भी यह कथा रूपान्तर में मिलती है, जैसे महाभारत के वनपर्व में शिवि और कपात की कथा और बौद्ध जातक संख्या ४९९ की कथा। यह कथा जैन कथाग्रन्थों में सर्वप्रथम संघदासगणि ( लगभग ५०० ई.) की वसुदेवहिण्डी के २१वे लम्भक और पीछे अनेक जैन पुराणों में मिलती है । यह नाटक मोहराजपराजय, प्रबुद्धरौहिणेय और धर्माभ्युदय की भांति ही जैनधर्म के प्रचार के लिए जनप्रिय कथानक को लेकर रचा गया था। इसका अधिकांश राजा और उसके मंत्री एवं राजा और बाज पक्षी के बीच हुए धार्मिक वाद-विवाद के रूप में है। कभी-कभी विदूषक की हास्योक्तियों से बातावरण में सजीवता आ जाती है परन्तु सब मिलाकर इसमें अभिनय कम है। संवाद की अपेक्षा कविताएँ अधिक हैं । इस छोटे से नाटक में १३७ पद्य पाये जाते हैं । कुछ पद्य ध्यान देने योग्य हैं । विदूषक परलोक के अस्तित्व में संदेह करता है तो राजा उदाहरण द्वारा समाधान करता है : करस्थमप्येवममी कृषीवलाः क्षिपन्ति बीजं पृथुपंकसंकटे। वयस्य केनापि कथं विलोकितःसमस्ति नास्तीत्यथवा फलोदयः ॥५०॥ रचयिता एवं रचनाकाल-इसके रचयिता महाकवि बालचन्द्रसूरि हैं। इनका विस्तृत परिचय हम इनकी अन्यतम कृति वसन्तविलास' नामक ऐतिहासिक महाकाव्य के प्रसंग में दे आये हैं। दक्षिण भारत के कुछ जैन कवियों ने भी संस्कृत में दृश्यकाव्य लिखे हैं। उनमें से अधिक तो नहीं, केवल ४.५ ही कृतियाँ प्रकाश में आई हैं जिनमें चार के कर्ता कवि हस्तिमल्ल हैं और एक के हैं इनके ही वंशज ब्रह्मदेवसूरि । नाटककार हस्तिमल्ल और उनका समय-दाक्षिणात्य जैन कवियों में संस्कृत नाटककार के रूप में कवि हस्तिमल्ल का एक विशेष स्थान है । हस्तिमल्ल वत्सगोत्री दक्षिणी ब्राह्मण थे। उनके पिता का नाम गोविन्दभट्ट था। वे अपने १. इस भाग के पृ० ४०८ में. ३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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