SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 547
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५३४ जैन साहित्य का बृहद् इरिहास मेघवाहन और रानी मदिरावती भी पुत्र प्राप्ति न होने से दुःखी हैं। दोनों कथाओं में समान रूप से देवताओं की पूजा आदि पुत्रोत्पत्ति में निमित्त बतलाये गये हैं । तिलकमंजरी में अयोध्या का शक्रावतार सिद्धायतन (जैन मंदिर ) कादम्बरी में उज्जयिनी के महाकाल देवायतन की याद दिलाता है । कादम्बरी के समान ही तिलकमंजरी में अनेक लौकिक और अलौकिक ( विद्याधरजगत् ) पात्रों को कथानक में अवतरित किया गया है । शैली की दृष्टि से भी दोनों काव्यों में समानता है। दोनों ने शब्दालंकारों और अर्थालंकारों के प्रयोग द्वारा घटना तथा वर्णन को बोझिल बनाया है । अर्थालंकारों में बाण को परिसंख्यालंकार और विरोधाभास अतिप्रिय हैं उसी तरह तिलकमंजरीकार को भी दोनों अलंकार प्रिय हैं। कथा और शैली में सादृश्य होते हुए भी कादम्बरी को तिलकमंजरी का पीoय नहीं कहा जा सकता । कादम्बरी का उपजीव्य जिस तरह गुणाढ्य की बृहत्कथा है उसी तरह तिलकमंजरी के उपजीव्य उससे पूर्व की अनेक कृतियां हैं । ' तिलकमंजरी में अन्य गद्यकाव्यों की अपेक्षा कई विशेषताएं हैं : १. इसके द्य अधिक लम्बे और अनेक पदों से निर्मित समास की बहुलता से रहित हैं, २. इसमें अधिक श्लेषालंकार की भरमार नहीं है, ३. इसमें अगणित विशेषणों का आडम्बर नहीं है, इससे कथा के आस्वाद में चमत्कृति है, ४. इसमें श्रुत्यनुप्रास द्वारा श्रवण-मधुरता उत्पन्न की गई है आदि । कवि ने इसे 'अद्भुतरसा रचिता कथा' कहा | यह काव्य अपने वर्णन वैविध्य एवं वैचित्र्य के कारण बाण से आगे बढ़ गया है । इसमें सांस्कृतिक जीवन, राजाओं का वैभव, उनके विनोद के साधन, तत्कालीन गोष्ठियां, अनेक प्रकार के वस्त्रों के नाम, नाविक तंत्र युद्धास्त्र आदि का जीता-जागता वर्णन मिलता है । १. प्रारंभिक पथों में कवि ने अपने से पूर्ववर्ती कवियों और उनकी कृतियों का उल्लेख किया है । २. विजयलावण्यसूरीश्वर ज्ञानमन्दिर, बोटाद से प्रकाशित तिलकमंजरी की प्रस्तावना, पृ० १४-१६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy