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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ही उदय होते देखकर उन्हीं भावों को लेकर एक काव्य की रचना करने का प्रस्ताव रखा जिसमें चन्द्र-सूर्य के बीच संग्राम का वर्णन हो और अन्त में चन्द्रमा की विजय दिखायी जाय। मंडन ने इस आशय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उस काव्य की रचना की । ५२० काव्यमण्डन : इस काव्य' में १३ सर्ग हैं जिनमें विविध छन्दों में कौरवों और पाण्डवों की कथा वर्णित है । ग्रन्थाग्र १२५० श्लोक प्रमाण है । इस काव्य में वर्ण्यविषय को अधिक रोचक बनाने के लिए कवि ने रसों, अलंकारों तथा अनेक छन्दों की योजना की है । ग्रन्थ में अनेक स्थल ऐसे हैं जो कवि की प्रौढ़ काव्य सुपमा का आनन्द देते हैं । कर्ता - इस काव्य का कर्ता महाकवि मण्डन मंत्री है । प्रत्येक सर्ग के अन्त में कवि ने अपनी छोटी सी प्रशस्ति दी है ।' ग्रन्थ की समाति में स्रग्धरा छन्द में एक प्रशस्ति द्वारा कवि ने अपने स्थान, वंश आदि का परिचय दिया है । तदनुसार यह श्रीमाल वंश के झांझण संघवी के द्वितीय पुत्र बाहड़ का छोटा पुत्र था । यह बड़ा प्रतिभाशाली, विद्वान् और राजनीतिज्ञ था । इसमें लक्ष्मो और सरस्वती दोनों का अपूर्व मेल था । मालवा में माण्डवगढ़ के होशंगशाह का यह मंत्री था । यह व्याकरण, अलंकार, संगीत तथा अन्य शास्त्रों में बड़ा विद्वान् था । विद्वानों पर इसकी बड़ो प्रोति थी और सदा कला को उपासना में रत १. जिनरत्नकोश, पृ० ९० हेमचन्द्राचार्य प्रन्थावली, संख्या १७, पाटन से प्रकाशित | इस ग्रन्थ की एक हस्तलिखित प्रति सं० १५०४ भाद्रपद शुक्ल पंचमी की लिखी मिलती है । २. श्रीमद्वन्यजिनेन्द्रनिर्भरततेः श्रीमालवंशोन्नतेः । श्रीमद्वाहडनन्दनस्य दधतः श्रीमण्डनाख्यां कवेः ॥ aror कौरवपाण्डवोदयकथारम्ये कृतौ सद्गुणे । माधुर्य प्रभु काव्यमण्डन इते सर्गोऽयमाद्योऽभवत् ॥ ३. अस्स्मेतन्मण्डपाख्यं प्रथितमरिचमूदुग्रह' दुर्गमुचैयस्मिन्नाकमसाहिर्निवसति बलवान्दुःसह : पार्थिवानाम् । रंमन्दो प्रबलधरणिभृत्सैन्यवन्याभिपाती, शत्रुस्त्रीबाष्पवृष्ट्वाऽप्यधिकतरमहो दीप्यते सिध्यमानः ॥ ५३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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