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________________ ललित वाङ्मय १८१ गृहीत मालूम होती है। इससे ये अवश्य उनके बाद हुए हैं। चन्द्रप्रभचरित महाकाव्य के रचयिता वीरनन्दि (११वीं शताब्दी का पूर्वाध) वाग्भट की शैली से अवश्य प्रभावित थे तथा वाग्भटालंकार में नेमिनिर्वाण के अनेक पद्यों को उदाहरणस्वरूप उद्धृत किया गया है।' इससे नेमिनिर्वाण की रचना इन दोनों से बाद की नहीं हो सकती। इससे वाग्भट का समय दसवीं शताब्दी होना चाहिये। तेरहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में महाकवि हरिचन्द्र ने अपने महाकाव्य धर्मशर्माभ्युदय में अनेक स्थानों में नेमिनिर्वाण से प्रचुर मात्रा में भाव, भाषा एवं शब्द लिये हैं। चन्द्रप्रभचरितमहाकाव्य : इसमें अष्टम तीर्थकर चन्द्रप्रभ के चरित को महाकाव्यत्व का रूप दिया गया है। इसमें १८ सर्ग हैं जिनमें पद्यों की कुल संख्या १६९१ है । अन्त में ग्रन्थकर्ता की प्रशस्ति के ६ पद्य अलग से दिये गये हैं। सभी सर्गों के अन्तिम पद्यों में 'उदय' शब्द आया है अतः यह काव्य उदयाङ्क है।' चन्द्रप्रभचरित की कथावस्तु का मुख्य आधार उत्तरपुराण है जिसके ५४वें पर्व में चन्द्रप्रभ के कुल मिलाकर सात भवों का वर्णन है। इसी के अन्त में केवल एक श्लोक में उन सातों भवों के नाम क्रम से दिये गये हैं : १. जैसे वाग्भटालंकार २८=नेमिनिर्वाण ७-१६, ३० =७-५०, ३२%६-५१; ३३= ७-२५; ३४ = ६-४६, ३९ =६-४७, ४० =७-२६, ६३ =१०-२५, ६९=१०-३५, २. जैन सन्देश, शोधाङ्क ८, पृ० २८५.२८६, पं० अमृतलाल जैन का लेख : वाग्भट और हरिचन्द्र में पूर्ववर्ती कौन । इन्हीं प्रमाणों के आधार पर डा. नेमिचन्द्र शास्त्री ने नेमिनिर्वाण महाकाव्य को चन्द्रप्रभचरित और धर्मशर्माभ्युदय के बाद की रचना माना है : देखें-संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, पृ० २८२-२८३. ३. जिनरत्नकोश, पृ० ११९, काव्यमाला, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, १९:२; जीवराज ग्रन्थमाला, सोलापुर, १९७०, इसके महाकाव्यत्व के लिए देखें संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, पृ० ८१ प्रभृति. १. इति श्रीवीरनन्दिकृतावुदयाङ्के चन्द्रप्रभचरिते महाकाव्ये.... 'सर्गः । ३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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