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________________ ४७१ ऐतिहासिक साहित्य जोहरापुरकर ने जैन शिलालेख संग्रह, चतुर्थ भाग' के रूप में सन् १९६१ में प्रकाशित कराया। इस तरह १६८९ दिग० जैन शिलालेख उक्त चार भागों में प्रकाशित हो चुके हैं। इन चारों भागों में से प्रथम भाग में डा० हीरालालजी जैन की लिखी १६२ पृष्ठ की, तृतीय भाग में डा० गुलाबचन्द्र चौधरी द्वारा लिखित १७३ पृष्ठ की और चतुर्थ भाग में डा० विद्याधर जोहरापुरकर द्वारा लिखित ३३ पृष्ठ की विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावनाएँ हैं। श्रवणबेलगोला के शिलालेखों के संग्रह ( जैन शि० सं० भाग १ ) के समान ही आबू के ६६४ लेखों का संग्रह 'अर्बुद प्राचीन लेखसंदोह के नाम से स्व. मुनि जयन्तविजयजी ने सं० १९९४ में प्रकाशित कराया। उक्त मुनिजी ने सं० २००५ में आबू प्रदेश के ९९ गांवों के ६४५ लेखों के संग्रहरूप में 'अर्बुदाचल प्रदक्षिणा लेखसंग्रह'३ प्रकाशित किया। अन्य लेखसंग्रहों में आचार्य विजयधर्मसूरि द्वारा सम्पादित 'प्राचीन जैन लेखसंग्रह" उल्लेखनीय है जो सन् १९२९ में प्रकाशित हुआ। इसमें सं० ११२३ से १५४७ तक के ५०० श्वेता० सम्प्रदाय के लेखों का संग्रह है। प्रतिमा या मूर्ति-लेखसंग्रह मारत के राजनीतिक और विशेषकर संघीय इतिहास को जानने के लिए प्रतिमालेख महत्त्वपूर्ण साधन है। पुरातत्त्व से सम्बन्ध होने के कारण यह सामग्री अत्यधिक विश्वसनीय मानी जाती है। प्रतिमालेखों की ऐतिहासिकता इसलिए अधिक मानी जाती है कि उन पर किंवदन्तियों व अतिशयोक्तियों का प्रभाव अधिक नहीं हुआ है क्योंकि वहाँ लिखने की जगह कम होने से मुख्य मुख्य बातें ही उल्लिखित होती हैं । हस्तलिखित ग्रन्थों में जो स्थान पुष्पिकाओं का है वही मूर्तियों पर प्रतिमालेखों का है। भारत में प्रतिमालेख जितने जैन समाज में प्राप्त होते हैं उतने शायद ही किसी अन्य समाज में उपलब्ध होते हों। __सुविधा के लिए हम प्रतिमाओं या मूर्तियों को प्रस्तर अर्थात् पाषाणमूर्ति और धातुमूर्ति इन दो भागों में बाँट सकते हैं। अपेक्षाकृत धातुमूर्तियों की १. मारहाणपीठ, वाराणसी से प्रकाशित. २-३. यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर. १. भावनगर. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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