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________________ ४७० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास और पुरानी कन्नड आदि भाषाओं में खुदे हैं । प्राचीन कन्नड के लेखों में जैनों के लेख बहुत अधिक हैं, क्योंकि उत्तर कर्णाटक और मैसूर राज्य में जैनों का निवास प्राचीन काल से था। उत्तर भारत के लेखों में भी जैन लेखों की संख्या बहुत अधिक है। सन् १९०८ में फ्रेंच विद्वान् डा० ए० गेरिनो ने 'रिपोर्तेर द एपिग्राफी जैन' प्रकाशित की थी जिसमें सन् १९०७ के अन्त तक प्रकाशित ८५० जैन लेखों का संक्षिप्त परिचय दिया गया था। उनमें ८०९ लेख ऐसे हैं जिनका समय उन पर लिखा हुआ है अथवा दूसरी साश्चियों से ज्ञात हुआ है। ये लेख ई० सन् से २४२ वर्ष पूर्व से लेकर ई. सन् १८६६ तक के अर्थात् लगभग २२०० वर्ष के हैं। इनमें श्वेता और दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों के लेख हैं। इसके बाद सन् १९१५, १९२७ और १९२९ में कलकत्ता से पूरणचन्द्रजी नाहर ने जैन लेखसंग्रह के क्रमशः तीन भाग निकाले जिनमें श्वेताम्बर सम्प्रदाय के हजारों मूल लेखों का संग्रह प्रकाशित किया जिनमें अधिकांश बीकानेर एवं जैसलमेर के हैं। सन् १९१७ और १९२१ में मुनि जिनविजयजी ने 'प्राचीन जैन लेखसंग्रह' नाम से दो भाग निकाले । पहले भाग में कलिंगनरेश खारवेल के शिलालेख को बड़ा महत्त्व दिया गया है और दूसरे में शत्रुक्षय, आबू , गिरनार आदि अनेक स्थानों के ५५७ लेख प्रकाशित किये गये है। दक्षिण के दिगम्बर सम्प्रदाय के जैन लेखों का संग्रह डा० हीरालाल जैन ने जैन शिलालेख संग्रह, प्रथम भाग, सन् १९२८ ई० में सम्पादित कर प्रकाशित किया। इसमें श्रवणबेलगोला तथा निकटवर्ती स्थानों के ५०० लेख संकलित हुए थे। जैन शिलालेख संग्रह के द्वितीय-तृतीय भाग में गेरिनो की सूची के आधार पर पं० विजयमूर्ति शास्त्री ने ८५० जैन लेखों का संकलन किया उनमें से ५३५ लेखों का पूरा पाठ एवं संक्षिप्त हिन्दी विवरण दिया गया है। शेष १४० लेख प्रथम भाग में आ चुके हैं तथा १७५ श्वेता० सम्प्रदाय के लेख है अतः उनका उल्लेख मात्र कर दिया गया है। इस तरह जैन शिलालेख के पहले तीन भागों में कुल १०३५ लेखों का संग्रह हुआ है। गेरिनो और डा० हीरालाल जैन के संकलनों से शेष बाद में प्रकाशित लगभग ६५४ लेखों का संग्रह डा० विद्याधर .. अहमदाबाद और भावनगर से प्रकाशित. २. माणिकचन्द्र दिग० जैन प्रन्थमाला, बम्बई से प्रकाशित. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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