SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 478
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऐतिहासिक साहित्य लिए लिखा है । इसमें जोधपुर, जालोर, सिरोही, आबू, सिद्धपुर, अहमदाबाद, बड़ौदा, भड़ौच और सूरत का वर्णन है । इसका विशेष परिचय हम दूतकाव्यों के प्रसंग में देंगे। विनयविजयकृत दूसरा विज्ञप्तिपत्र सं० १६९४ में लिखा गया था जिसे अहमदाबाद के समीप बारेजा ग्राम में विराजते हुए उन्होंने खम्भात में विराजते हुए अपने गुरु विजयानन्दसूरि के लिए लिखा था । तीसरा विज्ञप्तिपत्र विनयविजय द्वारा देवपन ( प्रभासपाटन ) से अणहिलपुरपाटन में स्थित विजयदेवसूरि को भेजा गया था । इसकी रचना अद्भुत है । इसके पद्यों का अर्धाश प्राकृत में और अर्धाश संस्कृत में रचा गया है । ' विनयविजय हीरविजय के शिष्य कीर्तिविजय के शिष्य थे। इनके विरचित नयकर्णिका, षट्त्रिंशत् जल्प ( संस्कृत गद्य ), शान्तिसुधारस आदि अनेक ग्रन्थ हैं। डा० हीरानन्द शास्त्री द्वारा विरचित ग्रन्थ Ancient Vijnaptipatrasरे में लगभग २४ विज्ञप्तिपत्रों का परिचय दिया गया है। उनमें अनेक राजस्थानी एवं गुजराती में हैं। लगभग ६ संस्कृत में हैं : ३. घोघा विज्ञसिपत्र सं० १७१७ ; ४. देवास विज्ञप्ति ( १८वीं शती ); ७-८ दो भग्न विज्ञप्तिपत्र; ९. शिनोर विज्ञप्तिपत्र सं० १८२१; १५. शिनोर विज्ञप्तिपत्र सं० १८६३ ( आंशिक संस्कृत और आंशिक राजस्थानी ) । अन्य विज्ञतिपत्रों में उपाध्याय समयसुन्दर ( १८वीं शती ) कृत विज्ञप्तिपत्र ( महादण्डस्तुतिगर्भ ), ज्ञानतिलक ( १८वीं शती) कृत विज्ञप्तिपत्र आदि का उल्लेख मिलता है । ४६५ अभिलेख- साहित्य : किसी भी राष्ट्र, भाषा एवं साहित्य का इतिहास जानने के लिए अभिलेखों का सर्वोपरि स्थान है क्योंकि इनमें प्रकृति की परिवर्तनशील दृष्टि का बहुत कम १. २. ३. मुनि जिनविजय द्वारा सम्पादित विज्ञप्तित्रिवेणी. जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० ६४८-४९. बड़ौदा स्टेट प्रेस, १९४२; इसके द्वितीय, तृतीय अध्याय ( अंग्रेजी में) विशेष रूप से पठनीय हैं । ४. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी स्मृतिग्रन्थ, खण्ड १, पृ० २४. ३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy