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________________ ३६८ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास रोहिण्यशोकचन्द्र नृपकथा-इसके अपर नाम हैं : रोहिणेयकथानक, रोहिणीव्रतकथा या रोहिणीतपमाहात्म्य ।' इसमें रोहिणीव्रत के माहात्म्य के सम्बन्ध में कथा दी गई है। रोहिणी नक्षत्रों में चौथा है और प्रत्येक माह में जब यह चन्द्रमा से संपृक्त होता है उस दिन महिलाएँ उपवासकर सुबह-शाम प्रतिक्रमण करती है। यह व्रत १४ वर्ष और १४ माह चलता है। इस व्रत को गुजरात में स्त्रियाँ ही करती हैं पर इस कथा में स्त्री-पुरुष दोनों के पालने का विधान है तथा उसे ७ वर्ष ७ माह तक पालने को कहा है। इसकी रचना तपागच्छीय विजयसेनसूरि के शिष्य सोमकुशलगणि के शिष्य कनककुशलगणि ने सं० १६५६ में की थी। कनककुशल अन्य अनेक लघुकाय कृतियों के रचयिता हैं। पौषदशमीकथा-पौष महीने की कृष्ण दशमी के दिन भ० पार्श्वनाथ का जन्मकल्याण है। उस दिन के व्रत का माहात्म्य सूचन करने के लिए सेठ सूरदत्त की कथा कही गई है। वह अन्य मतावलम्बी था और दुर्भाग्यवश उसको सारी निधि खो जाने से वह दरिद्र हो गया था। उसने पौष कृष्ण दशमी के दिन पार्श्वनाथ का आराधन कर पुनः सारी निधि पा ली थी। इस कथानक' पर किसी जिनेन्द्रसागरकृत', दयाविमल के शिष्य मुक्तिविमलकृत' (सं० १९७१) और एक अज्ञातकर्तृक रचना मिलती हैं। मुक्तिविमल की रचना संस्कृत गद्य में लिखी गई है। बीच-बीच में उसमें अनेक संस्कृत पद्य उद्धृत हैं। मेस्त्रयोदशीकथा-माघकृष्ण त्रयोदशी को मेरुत्रयोदशी कहते हैं। इस दिन पंच मेरु पर्वतों की छोटी आकृति बनाकर पूजने में जो फल होता है उसका माहात्म्य राजा अनन्तवीर्य और रानी प्रीतिमती के पुत्र पांगुल की पंगुता हट जाने द्वारा बतलाया गया है। १. जिनरत्नकोश, पृ० ३३४; जैन भात्मानन्द सभा (ग्रन्यांक ३६), भाव नगर, सं० १९७१, हीरालाल हंसराज, जामनगर, १९१२; इस कथा का पूरा अनुवाद और विवरण हेलेन एम० जोनसन ने अमेरिकन मोरियण्टल सोसाइटी की पत्रिका के भाग ६८, पृ० १६८-१७५ पर प्रकाशित किया है। २. जिनरत्नकोश, पृ. २५७. ३. यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, बनारस से प्रकाशित-पर्वकथासंग्रह, भाग १, वीर सं० २४३६. ४. दयाविमल जैन ग्रन्थमाला, अहमदाबाद, १९१८-१९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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