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________________ कथा-साहित्य ३१७ एक बृहत् ग्रन्थ धर्मपरीक्षा की रचना की थी। उसी का यह कथा खण्डमात्र है। कर्ता का समय १६.१७वीं शताब्दी अनुमानित है। एतद्विषयक अज्ञातकर्तृक संस्कृत रचनाओं का निर्देश मिलता है। गुजराती में भी कई रचनाएँ हैं।' पुरुषपात्र-प्रधान लघु कथाएँ : कुछ ऐतिहासिक पुरुषों को लेकर भी कथा-ग्रन्थ लिखे गये हैं। इनमें ऐतिहासिकता का अंश कम है । सम्प्रातिनृपचरित-सम्राट अशोक के पौत्र सम्प्रति के कथात्मक चरित्र को लेकर एक-दो रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इनके रचयिता और रचनाकाल की सूचना नहीं दी गई है। नवनन्दचरित-नन्दराज्यवंश के संस्थापक नवनन्दों के कथात्मक चरित से सम्बद्ध एक रचना अज्ञातकतृक मिलती है । रचनाकाल ज्ञात नहीं है। इसकी ताडपत्रीय प्रति जेसलमेर में है। शालिवाहनचरित-इस कृति में सातवाहन की कथा दी गई है। यह १८०० श्लोक-प्रमाण है। इसकी रचना वि० सं० १५४० में हुई थी। रचनाकार तपागच्छीय मुनिसुन्दरसूरि के शिष्य शुभशीलगणि हैं । देवर्धिगणिक्षमाश्रमणचरित-वलभी वाचना के प्रमुख देवर्धिगणि पर स्वतंत्र रचना के रूप में जैनग्रन्थावलि में देवर्धिकथा का उल्लेख मिलता है तथा अहमदाबाद के डेला उपाश्रय भण्डार में देवर्धिगणिक्षमाश्रमणचरित उपलब्ध है। अकलंककथा-प्रसिद्ध जैन नैयायिक आचार्य अकलंक के जीवन पर चमकारपूर्ण कथा का निर्माण किया गया है। स्वतंत्र रचना के रूप में भट्टारक सिंहनन्दि और भट्टारक प्रभाचन्द्र की कृतियों का उल्लेख मिलता है । १. जैन गुर्जर कविभो, भाग १-३, कृतिसूची. २. जिनरत्नकोश, पृ० ४२२; आत्मानन्दजय ग्रन्थमाला (दभोई ), अहमदा बाद, सं० १९७६; दूसरी रचना-हीरालाल हंसराज, जामनगर. ३. वही, पृ० २०८. ४. वही, पृ० ३८२. ५-६. वही, पृ० १७८. ७. वही, पृ०१. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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