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संस्कृत
२३.
.
गुणरत्नसूर'
३४.
३६.
२१२
जैन साहित्य का बृहद् इतिहास २२. कालकाचार्यकथा अज्ञात
माणिक्यसूरि' (१६वीं शती) कल्याणतिलक (१६वीं शती) प्राकृत कमलसंयमोपाध्याय (१६वीं शती) संस्कृत
(१६वीं शती) जिनचन्द्रसूरि' (सं० १६१२) समयसुन्दरोपाध्याय (सं० १६६६) जयकीर्ति (१७वीं शती) कनकसोम
(सं० १६३२) ज्ञानमरु
(१७वीं शती) ३२.
शिवनिधानोपाध्याय (१७वीं शती) जिनलाभसूरि कीर्तिचन्द्र कुलमण्डन
कनकनिधान (१८वीं शती) संस्कृत ३७.
लक्ष्मीवल्लभ (१८वीं शती)
सुमतिहंस (सं० १७१२) १. ६७ विविध छन्दों का अच्छा काव्य, लेखक का नाम विबुधतिलक अनुमान
किया जाता है. २. १०४ श्लोक, माणिक्यसूरि ६-७ हो गये हैं, लेखक का निर्णय करना
कठिन है. ३. ५६ गाथाएं, गुजराती टीका सहित; खरतरगच्छीय जिनसमुद्रसूरि के शिष्य. ४. पिप्पलगच्छीय, अन्य कुछ ज्ञात नहीं. देखें-पिप्पलगच्छ-गुर्वावलि, मा०
विजयवल्लभ स्मा० ग्रन्थ. ५. वृहत्खरतरगच्छीय भाचार्य. ६. ३७ संस्कृत-प्राकृत पद्य और संस्कृत गद्यमयी रचना; लेखक बृहत्खरतरगच्छ
के सकलचन्द्र के शिष्य, भावशतक के रचयिता. ७. वादि हर्षवर्धन के शिष्य.
८. महिसुन्दर के शिष्य. - ९. लक्ष्मीकीर्ति के शिष्य.
१०. जिनहर्षसूरि भायपक्षीय के शिष्य,
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