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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास दोनों के चरित्रों से इसमें परिवर्तन देखा जाता है। ग्रन्थकार ने हरिषेण की परम्परा से प्राप्त अर्धफालक सम्प्रदाय और श्वेताम्बरमत की उत्पत्ति दी है। इसमें लुकामत की उत्पत्ति वि० सं० १५२७ में बतलायी गई है। __ रचयिता और रचनाकाल-इसके रचयिता अनन्तकीर्ति के शिष्य ललितकीर्ति के शिष्य रत्ननन्दि हैं । ग्रन्थ के अन्त में एक पद्य से यह सूचित किया गया है तथा उसमें लिखा है कि हीरक आर्य के आग्रह से यह चरित लिखा गया है पर ग्रन्थकार ने कहीं भी अपने गणगच्छ का नाम या रचनाकाल नहीं दिया है। फिर भी इसकी रचना सं० १५२७ के बाद ही हुई है क्योंकि उक्त संवत् में इसमें लुकामत की उत्पत्ति बतलाई गई है। ग्रन्थ के सम्पादक ने रत्ननन्दि का नाम उनके दादागुरु और गुरु के नाम पर रत्नकीर्ति होना माना है और सुदर्शनचरितकार विद्यानन्दि द्वारा स्तुत रत्नकीर्ति से साम्य स्थापित किया है पर यह ठीक नहीं है। विद्यानन्दि के सुदर्शनचरित्र का समय वि० सं० १५१३ है इसलिए उनके द्वारा स्तुत रत्नकीर्ति का समय और पहले होना चाहिये। पर प्रस्तुत रचना में लेखक ने लुकामत की उत्पत्ति का संवत् १५२७ दिया है तो वह अवश्य पीछे हुआ है। ग्रन्थकार ने अनन्तकीर्ति को अपना दादागुरु बतलाया है पर अनन्तकीर्ति के शिष्य रूप में किसी ललितकीर्ति (ग्रन्थकार के गुरु ) का पता अन्य साधनों से अब तक नहीं लगा है इससे ग्रन्थकार के समय का निर्धारण करना कठिन है। एक भट्टारक रत्नचन्द्रकृत भद्रबाहुचरित्र का भी उल्लेख मिलता है। इसी तरह एक भद्रबाहुकथा का भी निर्देश हुआ है। स्थूलभद्रचरित-श्वेताम्बर संघ के इतिहास में आचार्य स्थूलभद्र का बहुत बड़ा स्थान है। इनके चरित्र प्राचीन ग्रन्थों में तो दिये ही गये हैं पर इन पर स्वतंत्र रचनाएँ भी ४-५ मिलती हैं। पहली रचना में ६८४ संस्कृत श्लोक हैं जिसे चौदहवीं शती के जयानन्दसूरि ने लिखा है।" जयानन्द तपागच्छीय सोमतिलकसूरि के शिष्य थे। इनकी १. ४. १५७. २. जिनरस्नकोश, पृ० २९१. ३. वही. १. वही, पृ० ४५५; प्रकाशित-हीरालाल हंसराज, जामनगर, १९१०; देवचन्द्र लालभाई पुस्तकोद्धार, ग्रन्यांक २५, बम्बई, १९२५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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