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पौराणिक महाकाव्य
भाककुमारचरित-ऋषिभाषित सूत्र में आर्द्रक को २८वों प्रत्येकबुद्ध माना गया है। उन्होंने कामवासना की गर्दा की थी। सूत्रकृतांग के अनुसार आद्रक एक अनार्य देश का राजकुमार था, श्रेणिक के पुत्र अभयकुमार से उसकी मैत्री थी। आर्द्रककुमार ने अभयकुमार के लिए उपहार भेजे थे। अभयकुमार ने भी उसके पास धर्मोपकरण के रूप में उपहार भेजे थे जिसे पाकर आद्रककुमार प्रतिबुद्ध हुआ। जातिस्मरणज्ञान के आधार से उसने दीक्षा ग्रहण की और वहाँ से भगवान् महावीर की ओर विहार किया। ___ आर्द्रककुमारचरित्र' पर अज्ञातकर्तृक कई रचनाएँ उपलब्ध होती हैं। उनमें एक १५९ और दूसरी १७० प्राकृत पद्यों में है।
उसकी पत्नी श्रीमती पर भी श्रीमतीकथा' नामक रचना अशातकर्तृक उपलब्ध हुई है। केवलिचरित:
प्रत्येकबुद्धों के चरित के समान ही विभिन्न समयों में हुए कतिपय केवलियों ( केवलज्ञानसम्पन्न) के चरितों को भी रोचकता के कारण जैन कवियों ने अपने काव्य का विषय बनाया है। उनमें से कामदेवों के चरितों के प्रसंग में हम विजयचन्द्रकेवलिचरित्र (प्राकृत), सिद्धर्षिकृत श्रीचन्द्रकेवलिचरित्र, भुवनभानुकेवलि (बलिनरेन्द्र ) चरित्र, तथा जम्बुकेवलिचरित आदि कुछ रचनाओं का परिचय दे चुके हैं। इनके अतिरिक्त केवलिचरित्र पर और भी रचनाएँ मिलती हैं।
जयानन्दकेवलिचरित-यह ६७५ ग्रन्थान-प्रमाण है। इसकी रचना तपागच्छ के प्रभावक आचार्य सोमसुन्दर के शिष्य मुनिसुन्दर (वि० सं० १४७८१५०३) ने की है।
१. डा. ज्योतिप्रसाद जैन ने आईककुमार को ईरान के ऐतिहासिक सम्राट
कुरुष (ई. पू. ५५८-५३०) का पुत्र माना है। भारतीय इतिहास :
एक दृष्टि, पृ० ६७-६८. २. जिनरस्नकोश, पृ० ३४; पाटन सूची, भाग १, पृ० १५३ पौर ४०५. ३. वही, पृ० ३९८. ४. जिनरत्नकोश, पृ० १३४, हीरालाल हंसराज, जामनगर, १९९८.
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