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________________ पौराणिक महाकाव्य १७३ यशःकीर्ति और मल्लिभूषण के धन्यकुमारचरित्र का उल्लेख भर मिलता है । इसी तरह विल्हण विकृत धन्यकुमारचरित्र का भी । ' २. धन्यकुमारचरित – इसमें पाँच सर्ग हैं। इसकी रचना भट्टा० विद्यानन्दि एवं मल्लिभूषण के शिष्य ब्रह्म नेमिदत्त ने की थी । ब्र० नेमिदत्त का साहित्यकाल सं० १५१८ - २८ माना जाता है । शालिभद्रचरित - इसकी रचना विनयसागरगणि ने सं० १६२३ में की थी । इस रचना एवं रचयिता के सम्बन्ध में और विशेष कुछ नहीं ज्ञात हो सका है प्रभाचन्द्रकृत शालिभद्रचरित का भी उल्लेख मिलता है । प्राकृत में भी कुछ शालिभद्रचरित्रों का पता लगा है। एक में १७७ गाथाएँ हैं। प्रारम्भ 'सुरवरकयमाणं नट्टनीसेसमानं' से होता है । अन्यों का उल्लेख मात्र है । " धन्यविलास — इसका ग्रंथाग्र ११०० श्लोक - प्रमाण है । यह संस्कृत-कृति है ! इसकी रचना धर्मसिंहसूरि ने की थी । इसकी एक हस्तलिखित प्रति मिली है । धन्यचरित - यह 'संस्कृताभासजल्पमय' विशाल गद्यरचना है । इसका ग्रंथाग्र ९००० श्लोक- प्रमाण है । यह ९ पल्लवों में विभक्त है ।" इसमें धन्यकुमार, शालिभद्र दोनों का चरित्र है । इस ग्रंथ का आधार जिनकीर्ति की कृति उपर्युक्त 'दानकल्पद्रुम' अपरनाम धन्यशालिचरित्र है ।" ग्रंथ के बीच में अनेक अवान्तर कथाएँ हैं । यह ग्रंथ अनेक १. जिनरत्नकोश, पृ० १८७. २. वही. ३. वही, पृ० ३८२. ४. वही. 4. वही, पृ० १८७. ६. वही; पोपटलाल प्रभुदास, सिहोर द्वारा वि० सं० १९९६ में प्रकाशित. ७. इति श्री जिनकीर्तिविरचितस्य पद्यबद्ध श्रीधन्यचरित्र शालिनः महोपाध्यायश्रीज्ञानसागरगणिशिष्याल्पमतिग्रथितगद्यरचना प्रबंधे इत्येवं गद्यबन्धेन मया धन्यमुनेः शालिभद्रमुनेः चरितं संस्कृताभासजल्पमयं लिखितं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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