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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास के सेनापति जयकुमार अपर नाम मेघेश्वर और उनकी सती रानी सुलोचना के चरित्र भी उपलब्ध हैं । इसी तरह ऋषभदेव के प्रथम गणधर पर पुण्डरीकचरित, महावीर के प्रथम गणधर पर गौतमचरित्र एवं गौतमीयकाव्य आदि तथा महावीर के समकालीन नरेश श्रेणिक और उनके पुत्र अभयकुमार आदि पर भी चरित्र-काव्य लिखे गये हैं । महावीर के पश्चात् होनेवाले युगप्रभावक आचार्य भद्रबाहु, स्थूलभद्र, पादलिप्त, कालिक, हरिभद्र, हेमचन्द्रादि पर भी चरित्र ग्रन्थ लिखे गये हैं । इसी तरह साध्वी महिलाओं में अंजना, द्रौपदी, दमयन्ती, राजीमती, चन्दनबाला, मृगावती, जयन्ती आदि पर अनेकों चरित-काव्यों का निर्माण किया गया है । १६० यहाँ हम सुविधा की दृष्टि से पहले प्रत्येकबुद्धों पर लिखी कुछ रचनाओं का परिचय प्रस्तुत कर पीछे यथासम्भव अन्य रचनाओं का परिचय देंगे । प्रत्येकबुद्धचरित : जैनाचार्यों ने, विशेषकर श्वेताम्बराचार्यों ने बौद्धों की भाँति प्रत्येकबुद्धों की कल्पना की है। प्रत्येकबुद्ध उन्हें कहते हैं जो गृहस्थी में रहते हुए किसी एक निमित्त से बोधि प्राप्त कर लें और अपने आप दीक्षित हो बिना उपदेश किये ही शरीरान्त कर मोक्ष चले जायें। प्रत्येकबुद्ध प्रायः एकाकी बिहारी होता है । वह गच्छवास में नहीं रहता । उत्तराध्ययन' सूत्र में चार प्रत्येकबुद्धों का उल्लेख है : करकण्डु, नग्गई, नमि और दुर्मुख । श्वेताम्बर सम्प्रदाय में इनकी कथाओं पर बहुत-सा साहित्य निर्माण हुआ है । बौद्धों के पालिसाहित्य' में भी इन चारों को प्रत्येकबुद्ध मानकर कथाएँ दी गई हैं । बौद्ध इन्हें महात्मा बुद्ध से पूर्व हुए स्वीकार करते हैं और जैन भग० पार्श्व के तीर्थकाल में । पर उनके जीवनचरित्रों पर विचार करने पर प्रतीत होता है कि ये चारों प्रत्येकबुद्ध भगवान् महावीर की दीक्षा से पूर्व प्रव्रजित हुए हैं और उनके शासनकाल में भी जीवित रहे हैं । प्रत्येकबुद्धों की संख्या में विवाद है। ऋषिभाषितसूत्र' में ४५ प्रत्येकबुद्ध के उपदेश संग्रहीत हैं उनमें से २० नेमिनाथ के, १५ पार्श्वनाथ के और १० महावीर के तीर्थकाल में हुए बतलाये जाते हैं । नन्दिसूत्र में औत्पातिकी, वैनयिकी, कार्मिकी, पारिणामिकी बुद्धि से युक्त जो मुनि होते हैं वे सब प्रत्येकबुद्ध कहलाते हैं । यह मानकर प्रत्येकबुद्धों की संख्या की अवधि निश्चित नहीं की है। 1 १. १८. ४५. २. कुम्मकार जातक (सं० ४०८ ). ३. ऋषिभाषितसूत्र, अनुवादक - मनोहर मुनि, बम्बई, १९६३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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