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________________ पौराणिक महाकाव्य के पश्चात् इसका रचा जाना ज्ञात होता है। इससे इसका रचनाकाल सं० १२९४ और १२९७ के बीच होना चाहिये। इसकी रचना बालभारत के बाद की गई थी। प्रथम तीर्थंकर पर अन्य रचनाएँ: आदिनाथचरित पर दूसरी रचना विनयचन्द्र की है जिसका रचनाकाल वि० सं० १४७४ है। विनयचन्द्र नाम के अनेक विद्वान् हुए पर ये विनयचन्द्र कौन है ? यह ज्ञात नहीं। एक विनयचन्द्र ( रविप्रभसूरि के शिष्य) के मल्लिनाथचरित, मुनिसुव्रतनाथचरित तथा पार्श्वचरित मिलते हैं, पर उनका समय वि० सं० १३०० के लगभग है। स्पष्ट है कि आदिनाथचरित के रचयिता उक्त विनयचन्द्र से अन्य हैं। सकलकीर्ति (१५ वीं शती) द्वारा रचित आदिनाथपुराण में २० सर्ग हैं और श्लोक संख्या ४६२८ । इसकी वर्णनशैली सुन्दर एवं सरस है। इसका दूसरा नाम बृषभनाथचरित्र भी है। भट्टारक सकलकीर्ति का परिचय उनके हरिवंशपुराण के प्रसंग में दिया गया है। एतद्विषयक अन्य रचनाओं में चन्द्रकीर्ति (१७ वीं शती ), शान्तिदास तथा धर्मकीर्ति आदि द्वारा रचित का उल्लेख मिलता है । नेमिकुमार के पुत्र वाग्भट ने काव्यमीमांसा में अपने ऋषभदेवचरित का उल्लेख किया है।' इसके अतिरिक्त संस्कृत नाटककार हस्तिमल्ल कृत कन्नड गद्य में आदिपुराण और श्रीपुराण उपलब्ध है जिनपर जिनसेन के आदिपुराण का स्पष्ट प्रभाव है। अजितनाथपुराण: द्वितीय तीर्थकर अजितनाथ पर कान्हणसिंह के पुत्र अरुणमणि उपनाम लालमणि ने अजितनाथपुराण की रचना की। इस भाग के लेखक ने इस ग्रन्थ की हस्तलिखित प्रति जैन सिद्धान्त भवन, आरा में देखी थी। यह मौलिक कृति न होकर जिनसेन के आदिपुराण और हरिवंशपुराण आदि ग्रन्थों से लम्बे १. जिनरत्नकोश, पृ० २८. २. वही, पृ० २८; प्रकाशित-जिनवाणी प्रचारक कार्यालय, कलकत्ता, १९३७. ३. वही, पृ० २८-२९. ४. वही, पृ० ५७. ५. वही, पृ० २. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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