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________________ प्राणिविज्ञान २५० गाय, बैल, हंस, सारस, कोयल, कबूतर वगैरह उत्तम प्रकार के राजस गुण वाले हैं । चीता, बकरा, मृग, बाज आदि मध्यम राजस गुण वाले हैं । रीछ, गैंडा, भैंस आदि में अधम राजस गुण होता है। इसी प्रकार ऊँट, भेड़, कुत्ता, मुरगा आदि उत्तम तामस गुण वाले हैं । गिद्ध, तीतर वगैरह मध्यम तामस गुणयुक्त होते हैं। गधा, सूअर, बन्दर, गीदड़, बिल्ली, चूहा, कौआ वगैरह अधम तामस गुण वाले हैं। पशु-पक्षियों की अधिकतम आयुष्य-मर्यादा इस प्रकार बताई गई है : हाथी १०० वर्ष, गैंडा २२, ऊँट ३०, घोड़ा २५, सिंह-भैस गाय-बैल वगैरह २०, चीता १६, गधा १२, बन्दर-कुत्ता-सूअर १०, बकरा ९, हंस ७, मोर ६, कबूतर ३ और चूहा तथा खरगोश १३ वर्ष । इस ग्रन्थ में कई पशु-पक्षियों का रोचक वर्णन किया गया है। उदाहरणार्थ सिंह का वर्णन इस प्रकार है : सिंह छः प्रकार के होते हैं—१. सिंह, २. मृगेंद्र, ३. पंचास्य, ४. हर्यक्ष, ५. केसरी और ६. हरि । उनके रूप-रंग, आकार-प्रकार और काम में कुछ भिन्नता होती है। कई घने जंगलों में तो कई ऊँची पहाडियों में रहते हैं। उनमें स्वाभाविक बल होता है। जब उनकी ६-७ वर्ष की उम्र होती है तब उनको काम बहुत सताता है । वे मादा को देखकर उसका शरीर चाटते हैं, पूंछ हिलाते हैं और कूद-कूद कर खूब जोरों से गर्जते हैं। संभोग का समय प्रायः आधी रात को होता है। गर्भावस्था में थोड़े समय तक नर और मादा साथ-साथ घूमते हैं। उस समय मादा की भूख कम हो जाती है। शरीर में शथिलता आने पर शिकार के प्रति रुचि कम हो जाती है । ९ से १२ महीने के बाद प्रायः वसंत के अंत में और ग्रीष्म ऋतु के आरंभ में प्रसव होता है । यदि शरद् ऋतु में प्रसूति हो जाय तो बच्चे कमजोर रहते हैं। एक से लेकर पांच तक की संख्या में बच्चों का जन्म होता है। पहले तो वे माता के दूध पर पलते हैं। तीन-चार महीने के होते ही वे गर्जने लगते हैं और शिकार के पीछे दौड़ना शुरू करते हैं। चिकने और कोमल मांस की ओर उनकी ज्यादा रुचि होती है। दूसरे-तीसरे वर्ष से उनकी किशोरावस्था का आरंभ होता है। उस समय से उनके क्रोध की मात्रा बढ़ती रहती है। वे भूख सहन नहीं कर सकते, भय तो वे जानते ही नहीं। इसी से तो वे पशुओं के राजा कहे जाते हैं। इस प्रकार के साधारण वर्णन के बाद उनके छः प्रकारों में से प्रत्येक की विशेषता बताई गई है : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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