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________________ बायुर्वेद २२७ निम्नोक्त ग्रन्थों और ग्रंथकारों के नामों का उल्लेख कल्याणकारक-कार ने किया है : १. शालाक्यतंत्र -पूज्यपाद २. शन्यतंत्र -पात्रकेसरी ३. विष एवं उपग्रहशमनविधि -सिद्धसेन ४. काय-चिकित्सा -दशरथ ५. बाल-चिकित्सा -मेघनाद ६. वैद्य, वृष्य तथा दिव्यामृत -सिंहनाद निदानमुक्तावली: वैद्यक-विषयक 'निदानमुक्तावली' नामक ग्रन्थ में. १. कालारिष्ट और २. स्वस्थारिष्ट-ये दो निदान हैं । मंगलाचरण में यह श्लोक है : रिष्टं दोषं प्रवक्ष्यामि सर्वशास्त्रेषु सम्मतम् । सर्वप्राणिहितं दृष्टं कालारिष्टं च निर्णयम् ।। ग्रन्थ में पूज्यपाद का नाम नहीं है परन्तु प्रकरण-समाप्ति-सूचक वाक्य 'पूज्यपादविरचितम्' इस प्रकार है ।' मदनकामरत्न : ___ 'मदनकामरत्न' नामक ग्रन्थ को कामशास्त्र का ग्रन्थ भी कह सकते हैं क्योंकि हस्तलिखित प्रति के ६४ पत्रों में से केवल १२ पत्र तक ही महापूर्ण चंद्रोदय, लोह, अग्निकुमार, ज्वरबलफणिगरुड, कालकूट, रत्नाकर, उदयमार्तण्ड, सुवर्णमाल्य, प्रतापलंकेश्वर, बालसूर्योदय और अन्य ज्वर आदि रोगों के विनाशक रसों का तथा कर्पूरगुण, मृगहारभेद, कस्तूरीभेद, कस्तूरीगुण, कस्तूर्यनुपान, कस्तूरीपरीक्षा आदि का वर्णन है । शेष पत्रों में कामदेव के पर्यायवाची शब्दों के उल्लेख के साथ ३४ प्रकार के कामेश्वररस का वर्णन है। साथ ही वाजीकरण, औषध, तेल, लिंगवर्धनलेप, पुरुषवश्यकारी औषध, स्त्रीवश्यभैषज, मधुरस्वरकारी औषध और गुटिका के निर्माण की विधि बताई गई है। कामसिद्धि के लिये छः मंत्र भी दिये गये हैं। समग्र ग्रंथ पद्यबद्ध है । इसके कर्ता पूज्यपाद माने जाते हैं परन्तु वे देवनंदि से भिन्न हो ऐसा प्रतीत होता है । ग्रन्थ अपूर्ण-सा दिखाई देता है। . 1. इसको हस्तलिखित ६ पत्रों की प्रति मद्रास के राजकीय पुस्तकालय में है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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