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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
लगभग वि० सं० १३३० में टीका की रचना की है। इसमें इन्होंने 'लीलावती' और 'त्रिशतिका' का उपयोग किया है ।
सिंहतिलकसूरि के उपलब्ध ग्रन्थ इस प्रकार हैं :
१. मंत्रराजरहस्य ( सूरिमंत्र संबंधी ), २. वर्धमानविद्याकल्प, ३. भुवनदीपकवृत्ति ( ज्योतिष् ), ४. परमेष्ठिविद्यायंत्र स्तोत्र, ५. लघुनमस्कारचक्र, ६. ऋषिमण्डलयंत्र स्तोत्र |
१. यह टीका प्रो० हीरालाल २० कापड़िया द्वारा सम्पादित होकर गायकवाड़ मोरियण्टल सिरीज, बड़ौदा से सन् १९३७ में प्रकाशित हुई है।
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