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________________ सातवां प्रकरण कला चित्रवर्ण संग्रह : सोमराजारचित का प्रकरण अत्यन्त उपयोगी है । परीक्षा' ग्रन्थ के अन्त में 'चित्रवर्णसंग्रह' के ४२ श्लोकों इसमें भित्तिचित्र बनाने के लिये भित्ति कैसी होनी चाहिये, रंग कैसे बनाना चाहिये, कलम पछी कैसी होनी चाहिये, इत्यादि बातों का ब्यौरेवार वर्णन है । प्राचीन भारत में सित्तनवासल, अजन्ता, बाघ इत्यादि गुफाओं और राजामहाराजाओं तथा श्रेष्ठियों के प्रासादों में चित्रों का जो आलेखन किया जाता था उसकी विधि इस छोटे-से ग्रंथ में बताई गई है। यह प्रकरण प्रकाशित नहीं हुआ है । कलाकलाप : वायडगच्छीय जिनदत्तसूरि के शिष्य कवि अमरचन्द्रसूरि की कृतियों के बारे में 'प्रबन्धकोश' में उल्लेख है, जिसमें 'कलाकलाप' नामक कृति का भी निर्देश है । इस ग्रन्थ का शास्त्ररूप में उल्लेख है, परन्तु इसकी कोई प्रति अभी तक प्राप्त नहीं हुई है । इसमें ७२ या ६४ कलाओं का निरूपण हो, ऐसी सम्भावना है I Jain Education International मषीविचार : 'मीविचार' नामक एक ग्रंथ जैसलमेर - भाण्डागार में है, जिसमें ताड़पत्र और कागज पर लिखने की स्याही बनाने की प्रक्रिया बतायी गई है । इसका जैन ग्रन्थावली, पृ० ३६२ में उल्लेख है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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