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________________ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास १. न्यायप्रवेश-पञ्जिका, २. निशीथचूर्णि-टिप्पनक, ३. नन्दिसूत्र-हारिभद्रीयवृत्ति-टिप्पनक, ४. पञ्चोपाङ्गसूत्र-वृत्ति, ५. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-वृत्ति, ६. पिण्डविशुद्धि-वृत्ति, ७. जीतकल्पचूर्णि-व्याख्या, ८. सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय । स्वयंभूच्छन्दस्: 'स्वयंभून्छन्दस्' ग्रन्थ के कर्ता स्वयंभू को वेलणकर 'पउमचरिय' और 'हरिवंशपुराण' के कर्ता से भिन्न मानते हैं, जबकि राहुल सांकृत्यायन' और हीरालाल जैन इन तीनों ग्रन्थों के कर्ता को एक ही स्वयंभू बताते हैं। 'स्वयंभूच्छन्दस' में लिये गये कई अवतरण 'पउमचरिय' में मिलते हैं। इससे प्रतीत होता है कि हरिवंशपुराण, पउमचरिय और स्वयंभूच्छन्दस् के कर्ता एक ही स्वयंभू हैं। वे जाति के ब्राह्मण थे, कवि माउरदेव और पद्मिनी के पुत्र थे और त्रिभुवनस्वयंभू के पिता थे। __ 'स्वयंभूच्छन्दस' के समाप्तिसूचक पद्यों द्वारा आठ अध्यायों में विभक्त होने का संकेत मिलता है। प्रथम अध्याय के प्रारंभिक २२ पृष्ठ उपलब्ध नहीं हैं। वर्षावृत्त अक्षर-संख्या के अनुसार २६ वर्गों में विभाजित करने की परिपाटी का स्वयंभू अनुसरण करते हैं परन्तु इन छन्दों को संस्कृत के छन्द न मानकर प्राकृत काव्य से उनके उदाहरण दिये हैं। द्वितीय अध्याय में १४ अर्धसमवृत्तों का विचार किया गया है । तृतीय अध्याय में विषमवृत्तों का प्रतिपादन है । चतुर्थ से अष्टम अध्याय पर्यन्त अपभ्रंश के छंदों की चर्चा की गई है। स्वयंभू की विशेषता यह है कि उन्होंने संस्कृत वर्णवृत्तों के लक्षण-निर्देश के लिये मात्रागणों का उपयोग किया है। छन्दों के उदाहरण प्राकृत कवियों के नामनिर्देशपूर्वक उनकी रचनाओं से दिये हैं। प्राकृत कवियों के २०६ पद्य उद्धृत किये हैं उनमें से १२८ पद्य संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश छन्दों के उदाहरणरूप में दिये हैं। १. 'हिंदी काव्यधारा' पृ० २२. २. प्रो० भायाणी : 'भारतीय विद्या' वो० ८, नं. ८-१०. उदाहरणार्थ स्वयंभूछन्दस् ८,३१; पउमचरिय ३१,१. ३. यह ग्रंथ Journal of the Bombay Branch of the Royal Asiatic Society में सन् १९३५ में प्रो० वेलणकर द्वारा संपादित होकर प्रकाशित हुभा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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