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कोश
नानार्थ कोश :
'नानार्थकोश' के रचयिता असग नामक कवि थे, ऐसा मात्र उल्लेख प्राप्त होता है । वे शायद दिगंबर जैन गृहस्थ थे । वे कब हुए और ग्रंथ की रचना - शैली कैसी है, यह ग्रंथ प्राप्त नहीं होने से कहा नहीं जा सकता ।
पञ्चवर्गसंग्रह नाममाला :
आचार्य मुनिसुन्दरसूरि के शिष्य शुभशीलगणि ने वि० सं० १५२५ में 'पंचवर्ग संग्रह - नाममाला' की रचना की है ।
ग्रंथकर्ता के अन्य ग्रन्थ इस प्रकार हैं :
१. भरतेश्वर बाहुबली -सवृत्ति, २. पञ्चशतीप्रबन्ध, ३. शत्रुञ्जय कल्पकथा ( वि० सं० १५१८ ), ४. शालिवाहन - चरित्र ( वि० सं० १५४० ), ५. विक्रमचरित्र आदि कई कथाग्रंथ ।
अपवर्गनाममाला :
इस ग्रंथ का 'जिनरत्न कोश' पृ० २७७ में 'पञ्चवर्गपरिहारनाममाला' नाम दिया गया है परंतु इसका आदि और अन्त भाग देखते हुए 'अपवर्गनाममाला" ही वास्तविक नाम मालूम पड़ता है ।
इस कोश में पाँच वर्ग याने क से म तक के वर्गों को छोड़ कर य, र, ल, व, श, ष, स, ह—इन आठ वर्णों में से कम-ज्यादा वर्गों से बने हुए शब्दों को बताया गया है ।
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इस कोश के रचयिता जिनभद्रसूरि हैं । इन्होंने अपने को जिनवल्लभसूरि और जिनदत्तसूरि के सेवक के रूप में बताया है और अपना जिनप्रिय ( वल्लभ ) सूरि के विनेय - शिष्य के रूप में परिचय दिया है। इसलिए ये १२ वीं शती में हुए, ऐसा अनुमान होता है, लेकिन यह समय विचारणीय है । अपवर्ग नाममाला :
जैन ग्रन्थावली, पृ० ३०९ में अज्ञातकर्तृक 'अपवर्ग नाममाला' नामक ग्रंथ का उल्लेख है जो २१५ श्लोक - प्रमाण है ।
१. अपवर्गपदाध्यासितमपवर्गत्रितयमाईतं नत्वा । अपवर्गनाममाला विधीयते मुग्धबोधधिया ॥
२. श्रीजिनवल्लभ- जिन दत्तसूरिसेवी जिनप्रिय विनेयः । अपवर्गं नाम मालामकरोज्जिनभद्रसूरिरिमाम्
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