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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास कुमार ने इसे मूलग्रन्थकार का बताकर धनञ्जय के समय की पूर्वसीमा निश्चित करने का प्रयत्न किया है । उनके मत से धनञ्जय दिगंबराचार्य अकलंक के बाद हुए । ८० धनञ्जय कवि के समय के संबंध में विद्वगुण एकमत नहीं हैं। कोई विद्वान् इनका समय नौवीं, कोई दसवीं शताब्दी मानते हैं ।' निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि धनञ्जय कवि ११ वीं शताब्दी के पूर्व हुए । 'द्विसंधान-महाकाव्य' के अंतिम पद्य की टीका में टीकाकार ने धनञ्जय के पिता का नाम वसुदेव, माता का नाम श्रीदेवी और गुरु का नाम दशरथ था, ऐसा सूचित किया है। इसमें समय नहीं दिया है । इनके अन्य ग्रन्थ इस प्रकार हैं : १. अनेकार्थनाममाला, २: राघवपाण्डवीय-द्विसंधान-महाकाव्य, ३. विषापहार- स्तोत्र, ४. अनेकार्थ निघण्टु | धनञ्जयनाममाला-भाष्य : 'धनञ्जय - नाममाला' पर दिगम्बर मुनि अमरकीर्ति ने 'भाष्य" नाम से टीका की रचना की है । टीका में शब्दों के पर्यायों की संख्या बताकर व्याकरणसूत्रों के प्रमाण देकर उनकी व्युत्पत्ति बताई है । कहीं-कहीं अन्य पर्यायवाची शब्द बढ़ाये भी हैं । अमरकीर्ति के समय के बारे में विचार करने पर वे १४ वीं शताब्दी में हुए हों, ऐसा मालूम पड़ता है । इस 'नाममाला' के १२२ वें श्लोक के भाष्य में आशाघर के 'महाभिषेक' का उल्लेख मिलता है। आशाधर ने वि० सं० १३०० मैं 'अनगारधर्मामृत' की रचना समाप्त की थी इसलिये अमरकीर्ति इसके बाद १. आचार्य प्रभाचन्द्र और आचार्य वादिराज ( ११ वीं शताब्दी ) ने धनन्जय के 'द्विसंधान - महाकाव्य' का उल्लेख किया है । इससे धनञ्जय निश्चित रूप से ११ वीं शताब्दी के पूर्व हुए हैं। जल्हणरचित 'सूक्तमुक्तावली' में राजशेखरकृत धनंजय की प्रशंसारूप सूक्ति का उल्लेख है । ये राजशेखर 'काव्यमी - मांसा' के कर्ता राजशेखर से अभिन्न हों तो धनंजय १० वीं शताब्दी के बाद नहीं हुए, ऐसा कह सकते हैं । २. सभाष्य नाममाला, अमरकीर्तिकृत भाष्य, घनञ्जयकृत अनेकार्थनाममाला सटीक, अनेकार्थ-निघण्टुं और एकाक्षरी कोश - भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, सन् १९५०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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