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________________ प्रकाशकोय द्वितीय संस्करण 'जैन साहित्य का बृहद् इतिहास' ग्रन्थमाला के अन्तर्गत आगमिक प्रकरणों ! व कर्मसाहित्य के परिचयात्मक विवरण पर आधारित चतुर्थ खण्ड का ] प्रथम संस्करण सन् १९६८ में प्रकाशित हुआ था । विगत वर्ष से उसकी प्रतियाँ विक्रय हेतु उपलब्ध नहीं थीं । इसकी उपयोगिता एवं इसकी माँग को दृष्टि में रखकर हमने इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित करने का निर्णय किया । इसमें प्रथम संस्करण की सामग्री ही यथावत रूप में रखी गई है । इस ग्रन्थ के प्रकाशन को उपयुक्त व्यवस्था संस्थान के निदेशक प्रो० सागरमल जैन ने की अतः सर्वप्रथम मैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ । प्रूफ संशोधन का कार्य संस्थान के शोधाधिकारी डॉ० अशोक कुमार सिंह सहशोषाधिकारी डॉ० शिव प्रसाद, श्री दीनानाथ शर्मा, एवं शोध सहायक डॉ० इन्द्रेशचन्द्र सिंह ने सम्पन्न किया, इस सहयोग के लिए हम उनके आभारी हैं । अन्त में इस ग्रन्थ के सुन्दर एवं शीघ्र छपाई हेतु में वर्धमान मुद्रणालय वाराणसी के संचालकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ | Jain Education International For Private & Personal Use Only मन्त्री भूपेन्द्रनाथ जैन www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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