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________________ अनगार और सागार का आचार २७३ टोकाएं-इस पर प्रभाचन्द्र ने १५०० श्लोक-परिमाण टीका लिखी है। दूसरी एक टीका ज्ञानचन्द्र ने लिखी है । इसके अतिरिक्त एक अज्ञातकतक टीका भी है। पंचासग (पंचाशक): जैन महाराष्ट्री में रचित हरिभद्रसूरि की इस कृति' में १९ पंचाशक हैं । इसमें प्रत्येक विषय के लिए ५०-५० पद्य हैं। इन १९ पंचाशकों के नाम इस प्रकार हैं : १. श्रावकधर्म, २. दीक्षा, ३. चैत्यवन्दन, ४. पूजा, ५. प्रत्याख्यान, ६. स्तवन, ७. जिनभवन, ८. प्रतिष्ठा, ९. यात्रा, १०. श्रावकप्रतिमा, ११. साधुधर्म, १२. यतिसामाचारी, १३. पिण्डविधि, १४. शीलांग, १५. आलोचनाविधि, १६. प्रायश्चित्त, १७. कल्पव्यवस्था, १८. साधुप्रतिमा और १९. तपोविधि । आद्य पंचाशक में 'श्रावक' शब्द का अर्थ, श्रावक के बारह व्रत तथा उनके अतिचार, व्रतों का कालमान, संलेखना और श्रावकों की दिनचर्या-इस तरह विविध बातें दी गई हैं। टोकाएं-अभयदेवसरि ने वि० सं० ११२४ में एक वृत्ति लिखी है। हरिभद्र ने इस पर टीका लिखी है ऐसा जिनरत्नकोश (वि० १, पृ० २३१) में उल्लेख है । इस पर एक अज्ञातकर्तृक टीका भी है। वीरगणी के शिष्य श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य यशोदेव ने पहले पंचाशक पर जैन महाराष्ट्री में वि० सं० ११७२ में एक चूणि लिखी है ।२ इन्होंने वि० सं० ११८० में पक्खिसूत्र का विवरण लिखा है । इस चूणि के प्रारम्भ में तीन पद्य और अन्त में प्रशस्ति के चार पद्य हैं। शेष समग्र ग्रन्थ गद्य में है। इस चूणि' में सम्यक्त्व के प्रकार, उसके यतना, अभियोग और दृष्टान्त, 'करेमि भंते' से शुरू होनेवाला सामायिकसूत्र और उसका अर्थ तथा मनुष्य भव की दुर्लभता के दृष्टान्त-इस प्रकार अन्यान्य विषयों का निरूपण है। इस चूणि में सामाचारी के विषय में १, यह अभयदेवसूरिकृत वृत्ति के साथ जैनधर्म प्रसारक सभा ने सन् १९१२ में छपवाया है। २. प्रथम पंचाशक की यह चूणि पाँच परिशिष्टों के साथ देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार संस्था ने सन् १९५२ में छपवाई है । २. यह तथा अन्य दृष्टान्तों की सूची ५वें परिशिष्ट में दी गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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