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________________ २५० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास किसी-किसी उपनिषद् का उपयोग किया होगा। एक अज्ञातकर्तृक योगसार के साथ इसका अमुक अंश में साम्य है, ऐसा कहा जाता है । नेमिदासरचित 'पंचपरमेष्ठीमंत्रराजध्यानमाला' में योगशास्त्र और पतंजलिकृत योगसूत्र के साथ इसका उल्लेख आने से उस जमाने में प्रस्तुत कृति प्रचलित होगी, यह अनुमान होता है । बालावबोध-इस कृति पर किसी ने पुरानी गुजराती में बालावबोध लिखा है । भाषा के अभ्यासियों के लिए यह एक अवलोकनीय साधन है।' झाणज्झयण अथवा झाणसय : इसके संस्कृत नाम ध्यानाध्ययन और ध्यानशत हैं। हरिभद्रसूरि ने इसका ध्यानशतक नाम से निर्देश किया है। मैंने जो हस्तप्रतियाँ देखी हैं उनमें १०६ गाथाएँ हैं, जबकि इसकी मुद्रित आवृत्तियों में १०५ गाथाएँ है । अतएव सर्वप्रथम १०६ ठी गाथा DCGCM ( Vol. XVII, pt. 3, p. 416) के अनुसार यहाँ उद्धृत की जाती है : पंचत्तरेण गाहासएण झाणस्स यं (ज) समक्खायं । जिणभद्दखमासमणेहिं कमविसोहीकरणं जइणो ॥१०६॥ इस प्रकार यहाँ पर प्रस्तुत कृति की १०६ गाथाएँ होने का सूचन है । साथ ही इसके कर्ता जिनभद्र क्षमाश्रमण हैं, ऐसा स्पष्ट उल्लेख है। ये जिनभद्र विशेषावश्यकभाष्य के कर्ता प्रतीत होते हैं, क्योंकि इसपर हरिभद्रसूरि ने जो टीका लिखी है उसमें उन्होंने इस कृति को शास्त्रान्तर और महान् अर्थवाली कहा है । वह उल्लेख इस प्रकार है : १. प्रस्तुत कृति का गुजराती में अनुवाद भी हुआ है। २. यह कृति आवस्सयनिज्जुत्ति और हारिभद्रीय शिष्यहिता नाम की टोका के साथ आगमोदय समिति ने चार भागों में प्रकाशित की है। उसके पूर्वभाग (पत्र ५८२ अ-६११ अ ) में आवस्सय की इस नियुक्ति की गा० १२७१ के पश्चात् ये १०५ गाथाएँ आती हैं। यह झाणज्झयण हारिभद्रीय टीका तथा मलधारी हेमचन्द्रसूरिकृत टिप्पनक के साथ 'विनयभक्ति-सुन्दर-चरण ग्रन्थमाला' के तृतीय पुष्परूप से वि० सं० १९९७ में प्रकाशित हुआ है और उसमें इसके कर्ता जिनभद्र कहे गये हैं। इस कृति की स्वतंत्र हस्तप्रति मिलती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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