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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास , सं० टीका* , सं० टीका* ,, हिन्दी टीका* केशववर्णी अभयचन्द्र टोडरमल्ल विक्रम की १९ वीं शती विक्रम की ११ वीं शती ४. लब्धिसार* नेमिचन्द्र गा० ६५० (क्षपणासारगर्भित) सिद्धान्तचक्रवर्ती ,, संस्कृत टीका* केशववर्णी ,, हिन्दी टीका* टोडरमल्ल विक्रम की १९ वीं शती विक्रम की ११ वीं ५. क्षपणासार माधवचन्द्र शती ६. पञ्चसंग्रह* ( संस्कृत) अमितगति श्लो० १४५६ वि० सं० १०७३ ७. पञ्चसंग्रह* (प्राकृत) "" गा० १३२४ ८. पञ्चसंग्रह (संस्कृत) श्रीपालसुत उड्ढ श्लो० १२४३ विक्रम की १७ वीं शती अन्य का नाम १. कर्मप्रकृति ,, चूणि* श्वेताम्बरीय कर्मसाहित्य कर्ता लोकप्रमाण रचनाकाल शिवशर्मसूरि गा० ४७५ सम्भवतः विक्रम की ५ वीं शती ७००० विक्रम को १२ वीं शती से पूर्व मुनिचन्द्रसूरि १९२० विक्रम की १२ वीं शती मलयगिरि विक्रम की १२.. १३ वीं शती यशोविजय १३००० विक्रम की १८ वीं ,, चूणिटिप्पण ,, वृत्ति* ८००० " वृत्ति शती .... चन्द्रषिमहत्तर २. पञ्चसंग्रह* , स्वोपज्ञवृत्ति गा० ९६३ ९००० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002097
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, Agam, Karma, Achar, & Philosophy
File Size14 MB
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