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________________ नवम प्रकरण अभयदेवविहित वृत्तियां विक्रम की बारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच के समय में निम्नलिखित सात टीकाकारों ने आगम-ग्रंथों पर टीकाएं लिखी हैं: १. द्रोणसूरि, २. अभयदेवसूरि, ३. मलयगिरिसूरि, ४. मलधारी हेमचन्द्रसूरि, ५. नेमि चन्द्रसूरि ( देवेन्द्रगणि), ६. श्रीचन्द्रसूरि और ७. श्रीतिलकसूरि । इनमें से अभयदेवसूरि ने निम्न आगम-ग्रंथों पर टीकाएँ लिखी हैं : अंग ३-११ और औपपातिक । अंग ३, ४ और ६ की टीकाएँ वि. सं. ११२० में लिखी गई। पंचम अंग को टोका वि. सं. ११२८ में पूर्ण हुई। अन्य टीकाओं की रचना का ठीक-ठीक समय अज्ञात है । उपयुक्त टीकाओं के अतिरिक्त प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी, पंचाशकवृत्ति, जयतिहुणस्तोत्र, पंचनिर्ग्रन्थी और सप्ततिकाभाष्य भी अभयदेव की ही कृतियां हैं। प्रभावकचरित्र में अभयदेवसूरि का जीवन-चरित्र इस प्रकार अंकित किया गया है : भोज के शासनकाल में धारा नगरी में एक धनाढ्य सेठ रहता था जिसका नाम लक्ष्मीपति था। उसके पास रहने वाले मध्यप्रदेश के एक ब्राह्मण के श्रीधर और श्रीपति नामक दो पुत्र थे । उन ब्राह्मण युवकों ने आचार्य वर्धमानसूरि से दीक्षा अंगीकार की। आगे जाकर वे जिनेश्वर और बुद्धिसागर के नाम से प्रसिद्ध हुए। वर्धमानसरि पहले-कूर्चपुर ( कुचेरा ) के चत्यवासी आचार्य थे और ८४ जिनमंदिर उनके अधिकार में थे। बाद में उन्होंने चैत्यवास का त्याग कर सुविहित मार्ग अंगीकार किया था। उस समय पाटन में चैत्यवासियों का प्रभुत्व था और वह यहां तक कि उनकी सम्मति के बिना सुविहित साधु पाटन में नहीं रह सकते थे । वर्धमानसरि ने अपने विद्वान् शिष्य जिनेश्वरसूरि और बुद्धिसागरसूरि को वहाँ भेज कर पाटन में सुविहित साधुओं का विहार एवं निवास प्रारम्भ कराने का विचार किया। इसा विचार से उन्होंने अपने दोनों शिष्यों को पाटन को ओर विहार करने को आज्ञा दी। जिनेश्वर और बुद्धि. सागर पाटन पहुँचे किन्तु वहाँ उन्हें ठहरने के लिए उपाश्रय नहीं मिला । अन्त •में वे वहों के पुरोहित सोमेश्वर के पास पहुंचे और उसे अपनी विद्वत्ता से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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