SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 268
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'पञ्चकल्प-महाभाष्य २५९ क्षेत्रकल्प का स्वरूप बताते हुए आचार्य ने अर्धषट्विंशति ( अद्धछब्बोस) अर्थात् साढ़े पचीस देशों को आर्यक्षेत्र बताया है जिसमें साधुओं को विचरना चाहिए । इन देशों के साथ ही इनकी राजधानियों के नाम भी दिये हैं। यहाँ एतद्विषयक भाष्य की छ: गाथाएं उद्धृत की जाती है जिनसे आर्यक्षेत्रीय देशों और उनको राजधानियों के नामों का ठीक-ठीक पता लग सकेगा: रायगिह मगह चंपा, अंगा तह तामलित्ति वंगा य । कंचणपुरं कलिंगा, वाराणसि चेव कासी य ॥९६९।। साए य कोसला गयपुरं च कुरु सोरियं कुसट्ठा य । कंपिल्लं पंचाला, अहिछत्ता जंगला चेव ।।९७०॥ बारवती य सुरट्ठा, महिल विदेहा य वच्छ कोसंबी। णंदिपुरं संदिभा, भद्दिलपुरमेव वलया य ॥९७१।। वयराडवच्छ वरणा, अच्छा तह मत्तियावति दसण्णा । सोत्तियमती य चेती, वीतिभयं सिंध सोवीरा ॥९७२॥ महुरा य सुरसेणा, पावा भंगी य मासपुरिवट्टा । सावत्थी य कुणाला, कोडीवरिसं च लाढा य ॥९७३॥ सेयवियाऽविय णगरी केततिअद्धं च आरियं भणितं । जत्थुप्पत्ति जिणाणं चक्कोणं रामकिण्हाणं ॥९७४॥ आर्य जनपद और उनको मुख्य नगरियों के नाम ये हैं : राजधानी १-मगध राजगृह २-अंग चम्पा ३-वंग ताम्रलिप्ति ४-कलिंग कांचनपुर ५-काशी वाराणसी ६-कोशल साकेत गजपुर ८-कुशावर्त सौरिक ९-पांचाल काम्पिल्य १०-जांगल अहिच्छत्रा ११-सौराष्ट्र द्वारवती १२-विदेह मिथिला १३-वत्स कौशाम्बी, १४-सांडिल्य नन्दिपुर देश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy