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________________ प्रास्ताविक उत्तराध्ययननियुक्ति: इसमें उत्तर, अध्ययन, श्रुत, स्कन्ध, संयोग, गलि, आकीर्ण, परीषह, एकक, चतुष्क, अंग, संयम, प्रमाद, संस्कृत, करण, उरभ्र, कपिल, नमि, बहु, श्रुत, पूजा, प्रवचन, साम, मोक्ष, चरण, विधि, मरण, आदि पदों की निक्षेपपूर्वक व्याख्या की गई है। यत्र-तत्र अनेक शिक्षाप्रद कथानक भी संकलित किये गये है। अंग की नियुक्ति में गंधांग, औषधांग, मद्यांग, आतोद्यांग, शरीरांग और युद्धांग का भेद-प्रभेदपूर्वक विवेचन किया गया है। मरण की व्याख्या में सत्रह 'प्रकार की मृत्यु का उल्लेख किया गया है । आचारांगनियुक्ति : इस नियुक्ति में आचार, वर्ण, वर्णान्तर, चरण, शस्त्र, परिज्ञा, संज्ञा, दिक्, पृथ्वी, वध, अप्, तेजस्, वनस्पति, स, वायु, लोक, विजय, कर्म, शीत, उष्ण, सम्यक्त्व, सार, चर, धूत-विधूनन, विमोक्ष, उपधान, श्रुत, अग्र आदि शब्दों का व्याख्यान किया गया है। प्रारंभ में आचारांग प्रथम अंग क्यों है एवं इसका परिमाण क्या है, इस पर प्रकाश डाला गया है। अन्त में नियुक्तिकार ने पंचम चूलिका निशीथ का किसी प्रकार से विवेचन न करते हुए केवल इतना ही निर्देश किया है कि इसकी नियुक्ति मैं फिर करूँगा । वर्ण और वर्णान्तर का प्रतिपादन करते हुए आचार्य ने सात वर्णों एवं नौ वर्णान्तरों का उल्लेख किया है। एक मनुष्य जाति के सात वर्ण ये हैं : १. क्षत्रिय, २. शूद्र, ३. वैश्य, ४. ब्राह्मण, ५. संकरक्षत्रिय, ६. संकरवैश्य, ७. संकरशूद्र । संकरब्राह्मण नाम का कोई वर्ण नहीं है । नौ वर्णान्तर इस प्रकार हैं : १. अंबष्ठ, २. उग्र, ३. निषाद, ४. अयोगव, ५. मागध, ६. सूत, ७. क्षत्त, ८. विदेह, ९. चाण्डाल । सूत्रकृतांगनियुक्ति : / इसमें आचार्य ने सूत्रकृतांग शब्द का विवेचन करते हुए गाथा, षोडश, पुरुष, विभक्ति, समाधि, मार्ग, ग्रहण, पुण्डरीक, आहार, प्रत्याख्यान, सूत्र, आर्द्र, अलम् आदि पदों का निक्षेपपूर्वक व्याख्यान किया है। एक गाथा (११९) में निम्नोक्त ३६३ मतान्तरों का उल्लेख किया है : १८० प्रकार के क्रियावादी, ८४ प्रकार के अक्रियावादो, ६७ प्रकार के अज्ञानवादी और २२ प्रकार के वैनयिक । दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : प्रस्तुत नियुक्ति के प्रारंभ में नियुक्तिकार आचार्य भद्रबाहु ने प्राचीन गोत्रीय, चरम सकलश्रुतज्ञानी तथा दशाश्रुतस्कन्ध, बृहत्कल्प और व्यवहार सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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