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________________ १३६ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास का अर्थाधिकार श्रुत-शीलस्खलन की निंदा है, कायोत्सर्गाध्ययन का अधिकार अपराधव्रणचिकित्सा है तथा प्रत्याख्यानाध्ययन का अधिकार गुण धारणा है।' यहाँ आवश्यक का पिण्डार्थ-समुदायार्थ नामक चतुर्थ द्वार समाप्त होता द्वारोपन्यास तथा भेदद्वार : पंचम द्वार में सामायिक नामक प्रथम अध्ययन की विशेष व्याख्या करते हुए आचार्य कहते है कि सामायिक का लक्षण समभाव है। जिस प्रकार व्योम सब द्रव्यों का आधार है उसी प्रकार सामायिक सब गुणों का आधार है। शेष अध्ययन एक तरह से सामायिक के ही भेद हैं क्योंकि सामायिक दर्शन, ज्ञान और चारित्ररूप तीन प्रकार की है और कोई गुण ऐसा नहीं है जो इन तीनों प्रकारों से अधिक हो। किसी महानगर के द्वारों की भांति सामायिकाध्ययन के भी चार अनुयोगद्वार हैं। उनके नाम इस प्रकार है : उपक्रम, निक्षेप, अनुगम तथा नय । इनके पुनः क्रमशः छः, तीन, दो तथा दो प्रभेद होते हैं। यहाँ तक पांचवें द्वारोपन्यास तथा छठे भेदद्वार का अधिकार है। निरुक्तद्वार : सातवें निरुक्तद्वार में उपक्रम आदि की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि शास्त्र का उपक्रमण अर्थात् समीपोकरण ( न्यासदेशानयन ) उपक्रम है । निक्षेप का अर्थ है निश्चित क्षेप अर्थात् न्यास अथवा नियत व्यवस्थापन । अनुगम का अर्थ है सूत्रानुरूप गमन ( व्याख्यान ) अथवा अर्थानुरूप गमन । इसका प्रयोजन सूत्र और अर्थ का अनुरूप सम्बन्धस्थापन है । नय का अर्थ है वस्तु का संभावित अनेक पर्यायों के अनुरूप परिच्छेदन ।' क्रमप्रयोजन : अष्टम द्वार का नाम क्रमप्रयोजन है। इसमें उपकम, निक्षेप, अनुगम तथा नय के उक्त क्रम को युक्तियुक्त सिद्ध किया गया है। यहाँ तक भाष्य की द्वितीय गाथा में निर्दिष्ट द्वारों का अधिकार है। इसके बाद उपक्रम का भावोपक्रम की दृष्टि से विस्तारपूर्वक व्याख्यान किया गया है तथा आनुपूर्वी, नाम, प्रमाण, वक्तव्यता, अर्थाधिकार और समवतार नामक छः भेदों का विस्तृत विवेचन किया गया है।" ३. गा० ९११-४. १. गा० ९०२. ४. गा० ९१५-६. २. गा० ९०५-९१०. ५. गा० ९१७-९५६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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