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________________ अष्टम प्रकरण बृहत्कल्पनियुक्ति . · यह नियुक्ति' भाष्यमिश्रित अवस्था में मिलती है। इसमें सर्वप्रथम तीर्थकरों को नमस्कार किया गया है। इसके बाद ज्ञान के विविध भेदों का निर्देश किया गया है और कहा गया है कि ज्ञान और मंगल में कथंचित् भेद और कथंचित् अभेद है। मंगल चार प्रकार का है : नाममंगल, स्थापनामंगल, द्रव्यमंगल और भावमंगल । इस प्रकार मंगल का निक्षेप-पद्धति से व्याख्यान किया गया है और साथ ही ज्ञान के भेदों की चर्चा की गई है। . अनुयोग का निक्षेप करते हुए कहा गया है कि नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल, वचन और भाव-इन सात भेदों से अनुयोग का निक्षेप होता है। निरुक्त का अर्थ है निश्चित उक्त । वह दो प्रकार का है : सूत्रनिरुक्त और अर्थनिरुक्त ।५ अनुयोग का अर्थ इस प्रकार है : अनु अर्थात् पश्चाद्भूत जो योग है वह अनुयोग है। अथवा अणु अर्थात् स्तोकरूप जो योग है वह अनुयोग है । चुंकि यह पीछे होता है और स्तोकरूप में होता है इसलिए इसे अनुयोग कहते हैं। कल्प के चार अनुयोगद्वार हैं : उपक्रम, निक्षेप, अनुगम और नय । कल्प और व्यवहार का श्रवण और अध्ययन करने वाला बहुश्रुत, चिरप्रवजित, कल्पिक, अचंचल, अवस्थित, मेधावी, अपरिश्रावी, विद्वान्, प्राप्तानुज्ञात और भावपरिणामक होता है।' प्रथम उद्देशक के प्रारम्भ में प्रलम्बसूत्र का अधिकार है । उसको सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति करते हुए कहा गया है कि आदि नकार, ग्रंथ, आम, ताल, प्रलम्ब और भिन्न-इन सब पदों का नामादि भेद से चार प्रकार का निक्षेप होता है।' इसके बाद प्रलम्बग्रहण से सम्बन्ध रखने वाले प्रायश्चित्तों का वर्णन किया गया है । तत्रग्रहण का विवेचन करते हुए कहा गया है कि तत्रग्रहण दो प्रकार का होता है : सपरिग्रह और अपरिग्रह । सपरिग्रह तीन प्रकार का है : देवपरिगृहीत, १. नियुक्ति -लघुभाष्य-वृत्तिसहित-सम्पादक मुनि चतुरविजय तथा पुण्य विजय प्रकाशक : जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, सन् १९३३-१९४२. २. गा. १. ३. गा. ३-५. ४. गा. १५१. ५. गा. १८८ ६. गा. १९०. ७. गा. २५६. ८. गा. ४००-१. ९. ८१५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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