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________________ षष्ठ प्रकरण सूत्रकृतांगनियुक्ति इस नियुक्ति' में २०५ गाथाएं हैं। गाथा १८ और २० में 'सूत्रकृतांग" शब्द का विचार किया गया है। गाथा ६६-६७ में पंद्रह प्रकार के परमाधामिकों के नाम गिनाये गये हैं : अम्ब, अम्बरीष, श्याम, शबल, रुद्र, अवरुद्र, काल, महाकाल, असिपत्र, धनुष, कुम्भ, वालुक, वैतरणी, खरस्वर और महाघोष । आगे की कुछ गाथाओं में नियुक्तिकार ने यह बताया है कि ये नरकवासियों को किस प्रकार सताते हैं, क्या-क्या यातनाएं पहुंचाते हैं। गाथा ११९ में आचार्य ने निम्नलिखित ३६३ मतान्तरों का निर्देश किया है : १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी और ३२ वैनयिक । गाथा १२७-१३१ में शिष्य और शिक्षक के भेद-प्रभेदों का निर्देश किया गया है।। ___इन विषयों के अतिरिक्त प्रस्तुत नियुक्ति में अनेक पदों का निक्षेप-पद्धति से विवेचन किया गया है। उदाहरण के लिए गाथा, षोडश, श्रुत, स्कन्ध, पुरुष, विभक्ति, समाधि, मार्ग, आदान, ग्रहण, अध्ययन, पुण्डरीक, आहार, प्रत्याख्यान, सूत्र, आर्द्र आदि शब्दों का नामादि निक्षेपों से विचार किया गया है। इस नियुक्ति में पर्यायवाचक शब्दों की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है । 'आई' पद की व्याख्या करते समय आई की जीवन-कथा भी दे दी गई है। अन्त में नालन्दा अध्ययन की नियुक्ति करते समय 'अलम्' शब्द की नामादि चार प्रकार के निक्षेपों से व्याख्या की गई है और बताया गया है कि राजगृह नगर के बाहर नालन्दा बसा हुआ है । १. (अ) शीलांककृत टीकासहित--आगमोदय समिति, बम्बई, सन् १९१७.. (आ) सूत्रसहित--सम्पादक : डा. पी. एल. वैद्य, पूना, सन् १९२८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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