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________________ पञ्चम प्रकरण तन्दुलवैचारिक तंदुलवेयालिय-तन्दुलवैचारिक' प्रकीर्णक में १३९ गाथाएँ हैं। बीचचीच में कुछ सूत्र भी हैं। इसमें विस्तारपूर्वक गर्भविषयक वर्णन किया गया है। अन्य के अन्तिम भाग में नारी जाति के सम्बन्ध में एकपक्षीय विचार प्रकट किये गये हैं। सौ वर्ष की आयु वाला पुरुष कितना तन्दुल अर्थात् चावल खाता है ? इसका संख्यापूर्वक विशेष विचार करने के कारण उपलक्षण से यह सूत्र तन्दुल. वैचारिक कहा जाता है। ग्रन्थ के प्रारम्भ में आचार्य ने जिनवर महावीर की वन्दना की है तथा तन्दुलवैचारिक नामक प्रकीर्णक के कथन की प्रतिज्ञा की है : निज्जरियजरामरणं वंदित्ता जिणवरं महावीरं । वोच्छं पइन्नगमिणं तंदुलवेयालियं नाम ॥ १॥ इसके बाद जिसकी आयु सौ वर्ष की है, हिसाब करने पर उसकी जिस तरह दस अवस्थाएँ होती हैं तथा उन दस अवस्थाओं को संकलित कर निकाल देने पर उसकी जितनी आयु शेष रहती है उसका वर्णन किया गया है : सुणह गणिए दस दसा वाससयाउस्स जह विभज्जंति । संकलिए वोगसिए जं चाऊ सेसयं होइ॥२॥ ___ यह जीव दो सौ साढे सतहत्तर दिन-रात तक गर्भ में रहता है। ये दिनरात सामान्य तौर पर गर्भवास में लगते हैं। विशेष परिस्थिति में इनसे कम या अधिक दिन-रात भी लग सकते हैं : दोन्नि अहोरत्तसए संपुण्णे सत्तसत्तरि चेव । गब्भंमि वसइ जीवो अद्धमहोरत्तमन्नं च ॥४॥ 1. (अ) विजयविमलविहित वृत्तिसहित-देवचन्द लालभाई जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, सन् १९२२. (भा) हिन्दी भावार्थसहित-श्वे. सा. जैन हितकारिणी संस्था, बीका नेर, वि० सं० २००६. ब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002095
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1966
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size15 MB
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