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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास में पहुँचा । उधर चेटक ने काशी के नौ मल्लकी और कोशल के नौ लिच्छवीइस प्रकार १८ गणराजाओं को बुलाकर मंत्रणा की। सबने मिलकर निश्चय किया कि कुणिक को हाथी और हार लौटाना ठीक नहीं और न शरणागत वेहल्लकुमार को वापिस भेजना ही उचित है। दोनों सेनाओं में घनघोर युद्ध हुआ। कूणिक ने गरुडव्यूह रचा और वह रथमुशल संग्राम करने लगा। चेटक ने शकटव्यूह रचा और वह भी रथमुशल संग्राम में संलग्न हो गया। इस युद्ध में कालकुमार मारा गया। दूसरे अध्ययन में सुकाल, तीसरे में महाकाल, चौथे में कण्ह, पाँचवें में सुकण्ह, छठे में महाकण्ह, सातवें में वीरकण्ह, आठवें में रामकण्ह, नौवें में पिउसेणकण्ह और दसवें अध्ययन में महासेणकण्ह की कथा है। कप्पवडिंसिया: इसमें निम्नलिखित दस अध्ययन हैं :--पउम, महापउम, भद्द, सुभद्द, पउमभद्द, पउमसेण, पउमगुम्म, नलिणिगुम्म, आणंद व नंदण । __ चंपा नगरी में कूणिक राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम पद्मावती था। राजा श्रेणिक की दूसरी रानी का नाम काली था। उसके काल नामक पुत्र था। काल की पत्नी का नाम पद्मावती था। उसके पद्मकुमार नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। पद्मकुमार ने महावीर से श्रमणदीक्षा ग्रहण की । मरकर वह स्वर्ग में गया। शेष अध्ययनों में महापद्म, भद्र, सुभद्र आदि कुमारों का वर्णन है। पुफिया : पुफिया में दस अध्ययन हैं :-चंद, सूर, सुक्क, बहुपुत्तिय', पुन्नभद्द, माणिभद्द, दत्त, सिव, बल और अणाढिय । पहला अध्ययन-राजगृह में श्रेणिक राजा राज्य करता था। एक बार महावीर राजगृह में पधारे । ज्योतिषेन्द्र चन्द्र ने उन्हें अपने अवधिज्ञान से देखा। १. इस संबंध में आवश्यकचूणि ( २. १६७-१७३) भी देखनी चाहिए। २. इन अध्ययनों में काफी गड़बड़ी मालूम होती है। स्थानांग के टीकाकार अभयदेव के अनुसार बहुपुत्रिका के स्थान पर प्रभावती का अध्ययन होना चाहिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002095
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1966
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size15 MB
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