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________________ एकादश प्रकरण प्रश्नव्याकरण पण्हावागरण अथवा प्रश्नव्याकरण' दसवाँ अंग है। इसका जोपरिचय अचेलक परम्परा के राजवातिक आदि ग्रन्थों एवं सचेलक परम्परा के स्थानांग आदि सूत्रों में मिलता है, उपलब्ध प्रश्नव्याकरण उससे सर्वथा भिन्न है। स्थानांग में प्रश्नव्याकरण के इस अध्ययनों का उल्लेख है : उपमा, संख्या, ऋषिभाषित, आचार्यभाषित, महावीरभाषित, क्षोभकप्रश्न, कोमलप्रश्न, अद्दागप्रश्न, अंगुष्ठप्रश्न और बाहुप्रश्न । समवायांग में बताया गया है कि प्रश्नव्याकरण में १०८ प्रश्न, १०८ अप्रश्न एवं १०८ प्रश्नाप्रश्न है जो मंत्रविद्या एवं अंगुष्ठप्रश्न, बाहुप्रश्न, दर्पणप्रश्न आदि विद्याओं से सम्बन्धित है । इसके ४५ अध्ययन है । नन्दीसूत्र में भी यही बताया गया है कि प्रश्नव्याकरण में १०८ प्रश्न, १०८ अप्रश्न एवं १०८ प्रश्नाप्रश्न है; अंगुष्ठप्रश्न, बाहुप्रश्न, दर्पणप्रश्न आदि विचित्र विद्यातियों का वर्णन है; नागकुमारों व सुवर्णकुमारों की संगति के दिव्य संवाद है; ४५ अध्ययन हैं। १. (अ) अभयदेवविहित वृत्तिसहित-आगमोदय समिति, बम्बई, सन् १९१९; धनपतसिंह, कलकत्ता, सन् १८७६. (आ) ज्ञानविमलविरचित वृत्तिसहित-मुक्तिविमल जैन ग्रन्थमाला अहमदा बाद, वि० सं० १९९५. (इ) हिन्ही टीका सहित-मुनि हस्तिमल्ल, हस्तिमल्ल सुराणा, पाली, सन् १९५०. (ई) संस्कृत व्याख्या व उसके हिन्दी-गुजराती अनुवाद के साथ-मुनि घासीलाल, जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, सन् १९६२. (उ) हिन्दी अनुवाद सहित-अमोलक ऋषि, हैदराबाद, वी० सं० २४४६; घेवरचन्द्र बांठिया, सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था, बीकानेर, वि० सं० २००९. (ऊ) गुजराती अनुवाद-मुनि छोटालाल, लाघाजी स्वामी पुस्तकालय लींबड़ी, सन् १९३९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002094
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size13 MB
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