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________________ Jain Education Internacional अंग ग्रन्थों का बाह्य परिचय For Private & Personal Use Only तालिका-१ सचेलक परम्परा ग्यारह अंग अंग का नाम २. समवायांगगत ३. नन्दिगतपदसंख्या ४. समवायांग-वृत्ति ५. नन्दि वृत्ति पदसंख्या १. आचारांग अठारह हजार पद अठारह हजार पद अठारह हजार पद नन्दी. के वृत्तिकार ने सब समवायांग आचारांग की नियुक्ति तथा शीलांक- की वृत्ति के अनुसार ही लिखा है। कृत वृत्ति में लिखा है कि आचारांग साथ में इसके समर्थन में नन्दी सूत्र को के प्रथम श्रुतस्कन्ध के (नौ अध्ययनों चूणि का पाठ दिया है । के) अठारह हजार पद हैं एवं द्वितीय श्रुतस्कन्ध के इससे भी अधिक हैं। २. सूत्रकृतांग छत्तीस हजार पद छत्तीस हजार पद समवायांग के मूल के अनुसार ही नन्दी के मूल के अनुसार ही १३. स्थानांग बहत्तर हजार पद ___ बहत्तर हजार पद ____ समवायांग के मूल के अनुसार ही नन्दी के मूल के अनुसार ही ४. समवायांग एक लाख चौआ- एक लाख चौआ- ____ समवायांग के मूल के अनुसार ही नन्दी के मूल के अनुसार ही लीस हजार पद लीस हजार पद ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति चौरासी हजार पद दो लाख अठासी समवायांग के मूल के अनुसार ही नन्दी के मूल के अनुसार ही हजार पद www.jainelibrary.org
SR No.002094
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size13 MB
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