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________________ हिजै० सा० की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का ब्रिटेन के लाभार्थ अधिकाधिक दोहन करना और ब्रिटिश दबदबे को बढ़ाना था। इसीलिए प्रशासनिक तंत्र को इन लक्ष्यों की पूर्ति का साधन बनाने के लिए बार-बार बदलना पड़ा। इस बीच भारतीय प्रजा का जो भयंकर शोषण कम्पनी के कर्मचारियों ने किया उसके लिए एक उदाहरण पर्याप्त होगा। अकेले क्लाइव इतनी संपत्ति लेकर इग्लैण्ड लौटा जिससे उसे प्रति वर्ष चालीस हजार पौण्ड की आय होती थी। स्वयम् अंग्रेजों ने क्लाइव और हेस्टिग्ज के लूट की भरपेट निंदा की। १७६७ में एक कानून बनाकर ब्रिटिश संसद ने कम्पनी को चार लाख पौण्ड प्रतिवर्ष ब्रिटिश खजाने में देने को विवश किया। कम्पनी के धनी-अधिकारियों ने अपने दलालों के लिए पैसे के बल पर हाउस आफ कामन्स में सीटें खरीदनी शुरू की। इसलिए यह निश्चय हआ कि ब्रिटिश सरकार कम्पनी के भारतीय प्रशासन की मूलनीतियों को नियंत्रित करेगी जिससे भारत में ब्रिटिश शासन संपूर्ण ब्रिटिश उच्च वर्ग के हित में चलाया जा सके। सन् १७७३ में रेगुलेटिंग एक्ट पास हुआ और कम्पनी की गतिविधि पर निगाह रखने का काम ब्रिटिश सरकार को दिया गया। सन् १७८४ में पिट्स इण्डिया एक्ट और बाद में इसी प्रकार के कई कानून बने जिससे कंपनी निदेशक मंडल की शक्ति और विशेषाधिकार कम होते गये। सन् १८१३ में चार्टर एक्ट द्वारा कम्पनी के भारत के व्यापारिक एकाधिकार को खत्म कर दिया गया। सर्वोच्च सत्ता गवर्नर जनरल और उसकी कौन्सिल को दे दी गई जो ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में शासन करता था। भूराजस्व संबंधी व्यवस्था काफी पुराने जमाने से भारतीय राज्य किसानों से कृषि पैदावार का एक हिस्सा भूराजस्व के रूप में सीधे या बिचौलियों द्वारा वसूल करता था। १७६५ ई० में कम्पनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी मिली तो पहले पुरानी व्यवस्था चली। १७७३ में विचौलियों को हटाकर सीधे भूराजस्व वसूलने का निश्चय किया गया। वारेन हेस्टिग्ज ने पुन: ऊंची बोली लगाने वाले ठेकेदारों को यह काम सौंपा पर इससे भूराजस्व संबंधी अस्थिरता बनी रही, इसे स्थिर और स्थायी करने के उद्देश्य से लार्ड कार्नवालिस ने १७९३ ई० में स्थायी बंदोबस्त बंगाल और बिहार में लागू किया और भूराजस्व वसूलने वालों को जमींदार बना दिया। इससे नये शोषक अभिजात वर्ग का उदय हुआ, किसानों की स्थिति निम्नकोटि के रैयत की हो गई, उन पर जमींदारी शोषण और जुल्म बढ़ा। बाद में चल कर स्थायी बंदोबस्त उड़ीसा, मद्रास और उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गाजीपुर तक के भूभाग पर लागू किया गया। अन्य भूभाग में रैयतवाड़ी प्रथा चलाई गई जिसमें सीधे रैयत के साथ भूमि का बंदोबस्त किया गया। कहीं कहीं जमींदारी प्रथा का कुछ परिवर्तित रूप महालबारी बंदोबस्त लागू किया गया। अंग्रेजों ने जमीन को माल का रूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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