SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास इससे प्रकट होता है कि इनका पूरा परिवार सुशिक्षित और रचनाशील था तथा प्रस्तुत ग्रंथ की रचना में सेवाराम की सहायता उनके भ्राता जीवनराम ने भी की थी। ४१७ श्री कामता प्रसाद जैन ने 'शांतिनाथ पुराण' का लेखक भी इन्हें ही बताया था। किन्तु वह रचना अन्य सेवाराम पाटनी की है न कि सेवाराम साह की; उसका वर्णन आगे किया जा रहा है। २३४ सेवाराम पाटनी - ये पं० टोडरमल के पंथानुयायी थे। इन्होंने हुंवड़ वंशीय अंबावत की प्रेरणा से 'शांतिनाथ पुराण' की रचना सं० १८३४ श्रावण कृष्ण अष्टमी को देवगढ़ के मल्लिनाथ चैत्यालय में पूर्ण की। उस समय देवगढ़ रियासत के शासक सावंतसिंह थे किन्तु वहाँ अनेक जैन मतावलंबी सुख सुविधा पूर्वक रहते थे। इस ग्रंथ की प्रति जैन सिद्धांत भवन, आरा में सुरक्षित है । टोडरमल की प्रशंसा में कवि ने लिखा है देश ढूढाहड़ आदि देस बोधे बहु देस, रची-रची ग्रंथ कठिन टोडरमल्ल महेश । ता उपदेश लवांस लहि सेवाराम सयान, रच्यो ग्रंथ रुचिमान के हर्ष - हर्ष अधिका । रचनाकाल इस प्रकार बताया गया है आदि संवत अष्टादश शतक फुनि चौतीस महान, सावन कृष्ण अष्टमी पूरण कियो पुराण। अति अपार सुख सो बसे नगर देवगढ़ सार, श्रावक बसैं महाधनी दान पुण्य मतिधार । ४१८ इससे विदित होता है कि शांतिनाथ पुराण के रचयिता सेवाराम पाटनी थे न कि सेवाराम साह; जैसा कामता प्रसाद का अनुमान था । आपकी दूसरी है 'मल्लिनाथ चरित्र भाषा' सं० १८५० भाद्र कृष्ण ५, नमः श्री मल्लिनाथाय, कर्ममल विनाशने, अनंत महिमासाय, जगत्स्वामनिर्निश | मल्लिनाथ जिन को सदा वंदौ मन वच काय, मंगलकारी जगत में, भव्य जीवन सुखदाय। मंगलमय मंगलकरण, मल्लिनाथ जिनराज, आरंभ्यो मै ग्रंथ यह सिद्ध करो महराज । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy