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________________ हिजै० सा० की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि करती रही है। मुगल अफसरों के अत्याचार से तंग आकर इन किसानों ने बगावत की, औरंगजेब की मुत्यु के पश्चात् इन लोगों ने दिल्ली के चारों तरफ अशांति पैदा कर दिया। लूटपाट किया और भरतपुर में जाट राज्य की स्थापना हुई। यह राज्य सूरजमल के नेतृत्त्व में अपनी उच्चतम गरिमा तक पहुँच गया। सूरजमल ने १७५९-६३ तक बड़ी योग्यतापूर्वक शासन किया। वह किसान-पोशाक में ही रहता था और ब्रज बोली बोल सकता था तथापि वह कुशल शासन और प्रबन्धन में बेजोड़ था। सन् १७६३ में उसकी मृत्यु के पश्चात् यह रियासत भी छोटे-छोटे जमींदारों में बँट कर बिखर गई। रूहेले और पठान अलीगढ़ और कानपुर के बीच फर्रुखाबाद के आस-पास मुहम्मद खाँ बंगश ने अपना अधिकार जमा लिया और पठान राज्य की स्थापना की। इसी प्रकार नादिरशाही आक्रमण के पश्चात् अलीमहम्मद खाँ ने रूहेलखण्ड में रूहेला राज्य की स्थापना की। यह राज्य हिमालय की तराई में कुमायूँ की पहाड़ियों से लेकर दक्षिण में गंगा के द्वाबा तक फैला था। इसकी राजधानी बरेली और बाद में रामपुर था। रूहेलों का अवध के नवाबों, दिल्ली के सम्राट और जाटों से टकराव होता रहा। अन्तत: कमजोर होकर ये रियासतें विघटित हो गई। सिक्ख राज्य सिक्ख को एक धर्म के रूप में प्रारंभ करने वाले प्रथम गुरू नानक माने जाते है। लेकिन इन्हें एक लड़ाकू समुदाय में बदलने का काम दसवें गुरू गोविन्द सिंह (१६६४-१७०८) ने किया। वे लगातार औरंगजेब के विरूद्ध युद्ध करते रहे। उनकी मुत्यु के बाद गुरू परंपरा खत्म हो गई और ग्रंथ साहब को गुरू बनाया गया। सिक्खों का नेतृत्व बंदा सिंह या बंदा बहादुर ने सभॉला। यह भी मुगलों के खिलाफ लड़ता सन् १७१५ में मार डाला गया। नादिरशाह और अब्दाली के आक्रमणों से जर्जर मुगलसाम्राज्य की कमजोरी का लाभ सिक्खों ने भी उठाया और सैनिक शक्ति संग्रह करना शुरू किया, लूटपाट भी किया। धन एकत्र किया और १७६५-१८०० के बीच पंजाब और जम्मू तक के भू भाग पर कब्जा जमा लिया। ये लोग १२ मिसलों या संघों में संगठित थे और आवश्यकतानुसार एक दूसरे की मदद करते थे। धीरे-धीरे इन मिसलों पर शक्तिशाली प्रधानों ने कब्जा जमा लिया और आपस में लड़ने लगे। १७९९ के बीच सुकेरचकिया मिसल के प्रधान रणजीतसिंह ने लाहौर और अमृतसर पर कब्जा कर लिया। इन्होंने सतलज के पश्चिम के सभी प्रधानों को अपने अधीन कर लिया, और पंजाब में अपना राज्य कायम किया। इन्होंने फौज का अच्छा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002093
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages326
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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