SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 504
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८७ विश्वभूषण इनकी हिन्दी रचनाओं का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। निर्वाण मंगल (१७२९)-इस छोटे से गीतकाव्य में निर्वाण और भक्ति विषयक गीत हैं। अष्टाह्निका कथा (१७३८)- इसमें नंदीश्वर की भक्ति सम्बन्धी कथा है। आषाढ़, कार्तिक और फाल्गन के अंतिम आठ दिनों में यह पर्व मनाया जाता है । इन दिनों नंदीश्वर की पूजा की जाती है । आरती--(९ पद्य) की उदाहरणार्थ निम्न पंक्तियाँ देखें -- पहली आरती प्रभु की पूजा, देव निरंजन और न दूजा; दुसरी आरती सिवदेवी नंदन, भक्ति उधारण करम निकंदन । नेमिजी का मंगल-यह रचना सं० १६९८ श्रावण शुक्ल अष्टमी की है। उस समय ये भट्टारक की गद्दी पर सम्भवतः नहीं थे, केवल मुनि थे । इसकी प्रारम्भिक पंक्तियाँ इस प्रकार हैं - प्रथम जपो परमेष्ठि तौ हियो धरौ, सरस्वती करहुं प्रणाम कवित्त जिन उच्चरौ। सोरठि देस प्रसिद्ध द्वारका अति बनी, रची इन्द्र नै आइ सुरनि मनि बहु कनि । पार्श्वनाथ का चरित्र-यह आचार्य गुणभद्र के उत्तरपुराण पर आधारित रचना है। आदि- मनउ सारदा माई भजी गणधर चितु लाई । पारस कथा संबंध, कहौं भाषा सुखदाई । पंचमेरु पूजा--सुदर्शन, विजय, अचल, मंदिर और विद्युन्माली को पंचमेरु कहते हैं । इन्हीं की पूजा की विधि इसमें वर्णित है । जिनदत्त चरित (सं० १७३८) यह रचना जिनदत्त की भक्ति से प्रेरित है। इसका उल्लेख नाथूराम प्रेमी, मिश्रबन्धु और कामताप्रसाद जैन ने अपने-अपने ग्रंथों में किया है इससे इसकी महत्ता स्वतः स्पष्ट है। _ जिनमत खिचरी-यह छोटा सा मुक्तक काव्य है। कुल १४ पद्य हैं। इसमें दाम्पत्य भाव से आत्मा परमात्मा के भक्ति भाव को व्यक्त किया गया है । इसपर सूफियों के 'इश्क मजाजी से इश्क हकीकी' का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy