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________________ अजीतचन्द श्री जिनवर बंदौ सबै, आदि अंत चउबीस, ज्ञानपुंज गुण सारिखा, नमो त्रिभुवन काईस । अम्बावती या आमेर स्थित नेमिनाथ के मंदिर के आसपास की प्राकृतिक शोभा का वर्णन करता हुआ कवि लिखता हैअंत--अजयराज इह करियो बषाण; राज सवाई जयसिंह जाण । अंबावती सहरै सुभ थान, जिनमंदिर जिम देवविमाण ।' वीर निवाण सोहै बनराई, बेलि गुलाब चमेली जाई । चम्पो मरबो अरै सेवती, यो तो जाति नाना बिध केती ॥२ अजयराज इस मंदिर में नित्य प्रति पूजा दर्शन के निमित्त जाते थे और भक्ति से प्रेरित होकर नेमिनाथ चरित लिखा। इसके अंत में वे कहते हैं ताकौ चरित कह्यौ मन अपणा, बुधि सारु उपजाई । पंडित पुरुष हंसो मत कोई, भूल चूक यामैं जो तोई ॥ . इससे स्पष्ट है कि यह मौलिक रचना है। 'श्रेयांस सकल गुणधार' आदि अन्य अनेक छोटी-छोटी स्तुति-पूजापरक रचनायें भी इनकी उपलब्ध हैं जिनसे प्रमाणित होता है कि अजयराज पाटणी १८वीं शती (विक्रम) के उत्तरार्द्ध के उत्तम कवि थे, अच्छे भक्त थे और सद्गृहस्थ श्रावक थे। अजीतचंद -- आप तपागच्छ की उपकेश शाखा के साधु अमीचंद के शिष्य थे। इन्होंने सं० १७३६, आश्विन शुक्ल १० को रेवा के किनारे स्थित होडियो नामक स्थान में धर्मपुर निवासी श्रावक अभयचंद के आग्रह पर 'चंदनमलयागिरि रास' की रचना की। इसमें चंदन और मलया की कथा है जो जैनसाहित्य में अनेक कवियों द्वारा नाना रचनाओं में कही गई है। इसका उद्धरण नहीं मिला, अतः कवि की कवित्व शक्ति के संबंध में कुछ कहना संभव नहीं है। १. डा० लालचंद जैन -जैन कवियों के व्रजभाषा प्रबन्ध काव्य का अध्ययन प० ८३-८४ २. डा० प्रेमसागर जैन - हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि प० ३६३ ३. श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई-जैन गुर्जर कवियो भाग २ प० ३५५ (प्रथम संस्करण) और भाग ५ पृ० २६ (नवीन सं०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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