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________________ ४४१ लब्धोदर गणि प्रकाशित हो चुकी है। इसके अलावा आपकी अन्य रचनाओं में रत्नचूडमणिचूड़ चौपाई (दानधर्म के माहात्म्य पर) मलयसुन्दरी चौपाई शीलधर्म पर) गुणावली चौपाई के अलावा घलेवा ऋषभदेव स्तवन (१३ पद्य) और दूसरा ऋषभदेव स्तवन (१५ गाथा) का उल्लेख मिलता है । इनकी रचनाओं का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत है-- पद्मिनी चौपाई (सं० १७०६ पूणिमा चैत्र सं० १७०७, ३ खंड ८१६ कड़ी) आदि-- श्री आदिसर प्रथम जिन, जगपति ज्योति सरूप, निरभय पद वासी नर्मू, अकल अनंत अनूप । ज्ञाता दाता ज्ञानधन, ज्ञानराज गुरुराज, तास प्रसाद थकी कहूं, सती चरित सिरताज । गोरा बादल अति गुणि, सूरवीर सिरताज, चित्रकोट कीधउ चरीत, सांमी धरम सिरताज । इस रचना पर जटमल के गोराबादल का भी प्रभाव है, साथ ही हेमरत्न कृत गोराबादल चौपाई से भी सहायता ली गई है। कवि बादल की वीरता और स्वामिभक्त के बारे में लिखता है सामि धरम बादल समो, हूओ न कोई होइ, जुधि जीतो दील्ली धणी, कुल अजुआल्या होइ। रचनाकाल-- तसू आग्रह करि संवत सतर सतोतरै रे, चैत्र पूनिम शनिवार, नवरस सहित सरस संबंध नवौ रच्यो रे, निज बुधनै अनुसार । मलयसुन्दरी चौपाई सं० १७४३ धनतेरस, गोधूंदा के अन्त की कुछ पंक्तियाँ देखें-- महोपाध्याय ज्ञानराज गुरु, कह्यो सुपन में आय, पाँच चौपाइ थें करी, ओ छठी करो बनाय । इससे लगता है कि इससे पूर्व वे पाँच चौपाइयाँ रच चुके थे पर इससे पूर्व उन्होंने दानधर्म के दृष्टांत स्वरूप रत्नचूड़ मणिचूड़ चौपाई की रचना सं० १७३७ में की थी। यह रचना भी भागचंद के आग्रह पर वसंत पंचमी सं० १७३७ को उदयपुर में की गई थी। इसमें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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