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________________ ३७२ मरुगुर्जर हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास श्रावक जन सहु आग्रहे मे चारित्र रच्यो रसालो रे, लघु प्रबंध वस्तुपाल तणी, जो रास रच्यो सुविशालो रे । इसकी अंतिम पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं वस्तुपाल तेजपाल गुण वर्णव्या, ते तो देवगुरु नो आधारो रे, रंगे मेरुविजय प्रभु विनवे जिन नामे जयजयकारो रे। यह रचना प्रकाशित है। आपकी दूसरी कृति 'नवपद रास' या श्रीपाल रास सं० १७२२ आसो शुक्ल १. गुरुवार को पलियड में लिखी गई थी। इसको सवाई भाई रायचंद ने प्रकाशित किया है। इसका रचनाकाल इस प्रकार बताया गया है संवत ससी सायर च प्रमाण, नयण संवच्छर जाणो रे, आसो सुदि दसमी भली, गुरुवारि रास रचाणो रे । पलियड पास महिमा घणो, सेव्ये दीइं सिवपुरी वास रे, रास रच्यो पलीयड वली, सेवक नी पूरो आस रे।' आपकी एक अन्य रचना 'नर्मदा सुंदरी रास' का भी उल्लेख मिलता है किन्तु उसका विवरण-उद्धरण नहीं मिलता। वस्तुपालतेजपाल केवल अमात्य ही नहीं वरन् शूरवीर योद्धा, राजनीतिज्ञ और धर्म प्रभावक महापुरुष थे। इन पर आधारित अनेक रचनाओं में इसका स्थान महत्वपूर्ण है। मोतीमालु--ये संभवतः अहमदाबाद के प्रेमापुर मुहल्ले के निवासी थे क्योंकि उनकी रचना 'नेमिजिन शलोको' (७३ कड़ी) सं० १७९८, दीपावली के दिन अहमदाबाद में ही लिखी गई थी। इसकी प्रारम्भिक पंक्तियाँ इस प्रकार हैं वाणि वरसति सरसति माता, कविजन त्राता कीरति दाता; इक्ष्वाकु वंशे जिनवर बावीस, मुनि सुव्रत नेमि दोय हरिवंश, बावीसमो जिनवर नेमकुमार, बाल ब्रह्मचारी नेमकुमार; परणा नहि पण प्रितडी पाली, कहस्यं सल्लोको सूत्र संभाल । १. मोहनलाल दलीचन्द देसाई-जैन गुर्जर कवियो, भाग २. पृ० १९०-१९३ (प्र०सं०) और भाग ४, पृ० ३०७-३१० (न०सं०) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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