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________________ भावरस्न इन्होंने लोकरूढ़ भाषा ज्ञानोपयोगी स्तुति चतुष्क बालावबोध नामक एक गद्य रचना भी की है किन्तु इसका विवरण तथा उद्धरण अनुपलब्ध है। इन कृतियों के आधार पर यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि भावरत्न अथवा भावप्रभ सूरि १८वीं शती के उत्तरार्ध के श्रेष्ठ कवियों तथा रचनाकारों में गणनीय हैं। __ भाऊ मूझे खेद है कि योजनानुसार इनका विवरण १७वीं शती में ही दिया जाना चाहिए था क्योंकि इनका रचनाकाल १७वीं और १८वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध है। काशी नागरी प्रचारिणी सभा के खोज विवरण के संपादकों ने इनका रचनाकाल 'अविदित' लिखा है क्योंकि इनकी प्राप्त रचना 'नेमिनाथ रास' जिस गटके में संकलित है उसका लेखन काल सं० १६९६ है और 'आदित्यवार कथा' एक ऐसे गुटके में निबद्ध हैं जिसका लेखनकाल सं० १७६३ है। इसलिए यह अनुमान होता है कि इन्होंने १७वीं शती के उत्तरार्धं से लेकर १८वीं शती के पूर्वार्द्ध में अपनी रचनाएँ की हैं । __ काशी नागरी प्रचारिणी सभा के खोज विवरण में इनके पिता का नाम भलूक दिया गया है लेकिन 'पुष्पदन्त पूजा' की अन्तिम प्रशस्ति में भुलको पूत' लिखा है जिसका स्पष्ट अर्थ है भुल का पुत्र, अतः इनके पिता भल गर्ग गोत्रीय जैन थे। अभी तक खोज में इनकी चार रचनाएँ प्राप्त हो पाई हैं, आदित्यवार कथा, पार्श्वनाथ कथा, पुष्पदंत पूजा और नेमिनाथ रास, जिनका विवरण आगे प्रस्तुत है। ___आदित्यवार कथा अपरनाम 'रविव्रत कथा' में व्रत माहात्म्य के साथ पार्श्वनाथ की भक्ति का स्वर अधिक मुखर है । गुणधर ने धरणेन्द्र एवं पद्मावती की प्रेरणा से रविव्रत पूजन प्रारम्भ किया और पूजा के लिए एक विशाल जैन मंदिर बनवाया । यह कथा अत्यन्त लोकप्रिय है। इसकी प्राप्त प्रति १७५९ सं० में लिखित गटके में निबद्ध है। इसके प्रारम्भ में चौबीस तीर्थङ्करों और शारदा की स्तुति है, यथा - सारद तणी सेवा मन धरौ, जा प्रसाद कवित्त ऊचरौ । मूरष तै पंडित पद होई, ता कारणी सेवे सब कोई। १. काशी नागरी प्रचारिणी सभा का त्रैवार्षिक पन्द्रहवाँ खोज विवरण appendix II, पृ० ८६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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