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________________ बाल बात के संबंध में बाल का वचन है-- सुरस मोहि सब सुख बस, कुरस मांहि कछु नाहि, कुरस बातइ ना कहै, पुरस प्रगट समु कांहि ।' पंचेन्द्रिय संवाद में भी इसी प्रकार आद्यंत पंचेन्द्रियों की प्रशंसा और भर्त्सना प्रबल स्वर में साथ साथ की गई है। भैया भगवतीदास जीभ के सम्बन्ध में कहते हैंटेक -(यतीश्वर जीभ बडी संसार, जपै पंच नवकार) जीभहिं तें सब जीतिये जी, जीभहिं तें सब हार, जोभहि तें सब जीव के जी, कीजतु हैं उपकार ।' हो सकता है कि बाल कवि, बालक (रामचन्द्र) और भैया भगवती दास की रचनाओं में घालमेल हो गया हो अथवा यह भी सम्भव है कि बालक कवि अलग हों और बाल कवि अलग। इसी प्रकार बाल और भैया भगवती दोनों ने एक ही समय एक साथ पंच इंद्रिय संवाद लिखा हो। बालक-(रामचन्द्र) और उनकी रचना 'सीताचरित्र' का विवरण रामचन्द्र बालक के साथ यथास्थान दिया जायेगा। इनका उल्लेख डॉ० कस्तूरचन्द कासलीवाल कृत राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की सूची भाग ३ पृ० ७९ और अन्यत्र भी हुआ है। इसलिए इनका विवरण स्वतंत्र रूप से यथास्थान ही देना समीचीन होगा। बंशोधर--आपकी एक रचना दस्तूर मालिका (सं० १७६५) का उल्लेख मिलता है जो अर्थशास्त्र से संबंधित है इसमें व्यापार संबंधी दस्तूर बताए गये हैं । इसका प्रारम्भ इन पंक्तियों से हुआ है-- जो धरत गनपति व्रात मै धरत जो लोइ, गुन वंदन इकदंत के सुर मुनि जन सब कोइ । १. मोहनलाल दलीचन्द देसाई--जैन गुर्जर कवियो, भाग २, पृ० ४२१-२२ (प्र०सं०) और भाग ५ पृ० १२५-१२६ (न०सं०)। २. डा० लालचन्द जैन--जैन कवियों के ब्रजभाषा प्रबन्धकाव्यों का अध्ययन पृ० ७८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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