SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ मरुगुर्जर हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास इसलिए इन्हें इस गुरु परंपरा के आधार पर भिन्न मानना तर्क संगत है । कोशा को समझाते हुए स्थूलभद्र सील का महत्व बताते हैं इम करि कह्या पछी बोले थूलिभद्र अणगार रे, सील निज मने घरि तुं सुंदरी, ओ संसार असार रे । इम कोशा कामिनी सुणि तु देसना ।' यह रचना प्राचीन मध्यकालीन बारमासा संग्रह भाग १ में प्रकाशित है। रचना के अन्त में भी विजयसेन, लावण्यविजय, नित्यविजय की गुरुपरंपरा दुहराई गई है, इसलिए इस शंका के लिए आधार नहीं बनता कि जंबुकुमार रास के कर्ता चंद्रविजय और स्थूलिभद्र कोशा बारमास के कर्ता चन्द्रविजय एक व्यक्ति हो सकते हैं। चंद्रविजय III-तीसरे चन्द्रविजय ने धन्ना शालिभद्र चौपाई (५० कड़ी) बनाई है । रचना में रचनाकाल इन्होंने नहीं दिया है किन्तु गुरुपरंपरा से इनका रचना समय १८ वीं शती ही निश्चित होता है। इनकी गुरुपरंपरा इस प्रकार है तपागच्छीय हीरविजय सूरि > कल्याण विजय > साधुविजय>जीवविजय । विजयप्रभ और जीवविजय का समय १८वीं शती ही है । इसका प्रारंभ देखिए वर्द्धमान जिन गणनिलो, उपसम रस भंडार। भरिभगति भावई करी, प्रणमी सुखदातार । निज गुरु ध्यान धरी मुदा, धन्नान अधिकार । ग्रन्थ मांहि निरखी अने, पभणिसु हुं विस्तारि । इसमें दान का माहात्म्य समझाने के लिए धन्ना शालिभद्र की कथा दृष्टांतस्वरूप वणित है---- दान सुपात्रि भविक जन, दया धरी सुध भाव । तेह थीं वंछित पामीई, भवजलनिधिरेतरवा बड़नाव । धन्नानि सालिभद्र मुनि तणुं अह चरित्र बोल्यु रसाल । जेह भणइ नई वली सांभलइ, तेह पामइरे सवि सुष सुविशाल ।' १. मोहनलाल दलीचन्द देसाई---जैन गुर्जर कविओ भाग ३ पृ० १३२७-२८ (प्र० सं०) और भाग ६ पृ० १० (न० सं०)। २. वही भाग २ पृ० ३०२-३०३, भाग ३ पृ० १२९२-९३ (प्र० सं०) और भाग ५ य० ७१-७२ (न० सं०)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy