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________________ ( ६ ) इस खण्ड में प्राय: पद्य रचनाओं में साथ ही उनकी गद्य कृतियों का भी विवरण दे दिया गया है, इसलिए गद्य और पद्य के आधार पर भी दो मोटे उपविभाग नहीं किए गये, किन्तु कुछ छूटी गद्य रचनाओं या अज्ञात लेखकों की गद्य रचनाओं का एक संक्षिप्त उल्लेख पद्य भाग के बाद अलग से कर दिया गया है । प्रारम्भ में १७वीं शती (वि०) की पीठिका के रूप में तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियों का संकेत भी किया गया है । प्राचीन गद्य के विकास में इन रचनाओं का ऐतिहासिक महत्व तो है ही, साथ ही गद्य शैली के विकास और हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी भाषाओं के विकास का अध्ययन करने के लिए ये अपरिहार्य माध्यम हैं । इस प्रकार उपोद्घात से लेकर उपसंहार तक चार अध्याय हैं । अन्त में नामानुक्रमणिका है । नामानुक्रमणिका में प्रायः ८०० लेखकों और सम्बन्धित व्यक्तियों के नाम हैं । पुस्तक अनुक्रमणिका में प्रायः १००० पुस्तकों का उल्लेख है जिनमें से अधिकांश का विवरण पुस्तक में यथास्थान देखा जा सकता है । वैसे तो जो सहायक ग्रन्थ सूची प्रथम भाग में दी गई है प्रायः वे ही ग्रन्थ इस भाग में भी सन्दर्भित हैं किन्तु जिनका इस भाग में अधिक उपयोग किया गया है उसकी एक संक्षिप्त सूची दे दी गई है । इस तरह पुस्तक को यथासम्भव प्रामाणिक एवं पाठकों के लिए सुविधाजनक बनाने का भरसक प्रयत्न किया गया है । पुस्तक की उपयोगिता के सम्बन्ध में मैं अधिक न कह कर उन महान जैन मुनियों, आचार्यों और लेखकों के प्रति श्रद्धावनत हूँ जिन्होंने अपने चरित्र, शील और साधना के बल पर यह पुनीत साहित्य सृजित किया है जिससे हिन्दी साहित्य की प्राचीनता, विस्तार एवं पारस्परिकता का परिचय प्राप्त करने में बृहत्तर पाठक समाज को सुविधा हुई है। I ऐसे श्रेष्ठ साहित्य का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का गुरुतर दायित्व मैं कहाँ तक ठीक से निभा सका हूँ यह तो सुधी पाठक ही बतायेंगे | मैं अपनी अल्पज्ञता और त्रुटियों के लिए क्षमा याचना पूर्वक केवल इतना निवेदन कर सकता हूँ कि यदि पाठक गलतियों का संकेत करेंगे तो मैं आभार मानूंगा और उन्हें दूर करने की चेष्टा करूँगा । डा० सागरमल जैन ने इतना बड़ा कार्य करने योग्य मुझे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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